बिलासपुर देवरीखुर्द में आज निकली गौरा गौरी पूजन का यात्रा छत्तीसगढ़ में लोक कला और लोक संस्कृति को खास तौर महत्व है

यही वजह है की तीज त्योहारों के साथ धार्मिक आयोजनों को प्रदेशवासी धूमधाम से मनाते हैं छत्तीसगढ़ की लोक परंपरा में से एक ईसर गौरा गौरी पूजन को भी आदिवासी संप्रदाय भव्य रूप से मानता है इस संबंध में जानकारी देते हुए समाज लोगों ने बताया किहमारा गोंदियन कल्चरल जो है गोंडवाना लैंड पर एक गौरी गौरा पूजा होता है हमारी सामाजिक मान्यता है कि यहीं से विवाह का संबंध जो पूरे मानव सभ्यता में चालू हुआ उसे प्रति आत्मक रूप से कुछ लोग महादेव के रूप मानते हैं।उसके रूप में आज पूरे छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध हैं और पूजन को क्षेत्र में गोडीयन समुदाय वृहद रूप में करता है।पहले दिन फूल कुशाई किया जाता है।दूसरे दिन माटी लाना और फिर निर्माण करना और पूरा विवाह का और अंतिम दिन सेवा अर्जी करने के बाद विसर्जन का हमारे कार्यक्रम रहता है।सभी समाज के लोग शामिल होता है।परंपरा के अनुसार पूजन कार्य को समारोह पूर्वक संपन्न किया जाता है।।लोक परंपरा नृत्य संगीत को साझा किया गया।वही आने वाली पीढ़ी को भी इससे रूबरू कराया गया। कार्यक्रम मैं भाजपा नेता नंदकुमार साहब शामिल हुए जिन्होंने इस पूजन विधि को छत्तीसगढ़ मैं सास के स्तर पर आयोजित करने की पहल करने की बात कही है वही इन्होंने पूजन के महत्व को भी बताया.

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *