
एक और छात्र ने कोटा में आत्महत्या कर ली कल से एक वीडियो वायरल हो रहा है एग्जाम हॉल के बाहर से लड़की को घसीटते हुए ले जाया जा रहा है ऐसे अनेकों वीडियो और खबरें आए दिन सुनने व देखने को मिलते हैं अगर ऐसा ही चलता रहा तो हमारी वर्तमान सरकार भले ही 400 का आंकड़ा पार न कर पाई हो लेकिन छात्रों के आत्महत्या में जरूर कर लेगी
- लेकिन इस सरकार को क्या फर्क पड़ता है की कितने छात्रों ने हताश होकर आत्महत्या कर ली। क्या होगा उसके परिवार का किसी को क्या फर्क पड़ता है क्या फर्क पड़ता है मणिपुर की घटना से जहां दो औरतों को नंगा करके घुमाया गया और उनकी हत्या कर दी गई क्या फर्क पड़ता है ,क्या फर्क पड़ता है कि Hssc का पेपर किसी देश में 28 बार लीक हुआ हो क्या फर्क पड़ता है जहां किसान साल भर सड़क किनारे बैठे रहे हो और क्या फर्क पड़ता है कि देश की गोल्ड मेडलिस्ट खिलाड़ी लड़कियों को सड़क पर आकर के यह कहना पड़ा कि उनके साथ किसी मंत्री द्वारा बलात्कार हुआ है लगता है आदत पड़ गई है इस सरकार को देश की लाशों पर राजनीति करने की आदत हो गई है जनता को चुप रहने की लेकिन क्या फर्क पड़ता है चाहे करोना के दौरान हजारों मजदूरों को पैदल चलना पड़ा हो क्या फर्क पड़ता है गंगा में सैकड़ो लाशों को बहाया गया हो क्या फर्क पड़ता है जंगल में लगी आग को बुझते बुझते किसी घर का चिराग बुझ गया हो पर इन 10 सालों में जनता सीख गई है वह चुप नहीं बैठती वह सीख गई है पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ जैसे स्टेटस लगाना वह सीख गई है 15 अगस्त वाले दिन देश के झंडे समेत अपना डीपी लगाना हां पर हम सीख गए हैं नीट जैसी परिक्षा का पेपर लीक होने की रिलस बनाना
पायल