एक दिन में कम से कम 50 बार स्माइल जरूर करें – बीके कमल भाई
28 जनवरी 2025, बिलासपुर। वर्तमान परिवेश में पहले से ज्यादा सुविधाएँ है, स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो गए है फिर भी तनाव बढ़ता जा रहा है। कई बार तनाव होता नहीं पर बोल-बोल कर और बढ़ा देते है। अब अपने आप को बोलना है कि मैं बहुत खुश हूं, शांत हूं। सिर्फ बोलने से एक बार में कोई तनाव समाप्त नहीं होगा परंतु यह तनाव समाप्त करने की पहली सीढ़ी है। एक दिन में कम से कम 50 बार स्माइल जरूर करें।
उक्त वक्तव्य प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय बिलासपुर की मुख्य शाखा टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन में आयोजित तीन दिवसीय “उपहार खुशियों का” के पहले दिन ब्रह्माकुमारीज के मुख्यालय माउंट आबू से पधारे बीके कमल भाई जी ने कहा। जीवन में खुश रहने के तीन सिद्धांत बताते हुए कमल भाई जी ने पहला सिद्धांत बताया कि जो है, जैसा है उसे स्वीकार करना। अपने जीवन को आध्यात्मिक बनाना है। आध्यात्मिकता का अर्थ यह बिल्कुल भी नहीं है कि कोई हम कपड़े बदलने है या हम कोई दुनियादारी छोड़ दें। बल्कि आध्यात्मिकता का अर्थ है स्वीकार करना। जो है, जैसा है उसे उस स्थिति में स्वीकार करना, जिससे हमारा तनाव कम हो जाता है। खुश रहने के लिए सबसे पहला जिन चीजों को हम बदल नहीं सकते उन्हें स्वीकार करना है। जिस घर में हम हैं, जिस ऑफिस में है, जैसा शरीर है, जैसा रंग है.. उन सभी को स्वीकार करना। हम दूसरों से अपेक्षा नहीं कर सकते कि वह हर चीज को स्वीकार करें। दूसरे मुझे तब स्वीकार करेंगे जब मैं स्वयं को स्वीकार करूंगा। दूसरा परिवार को स्वीकार करना है। सभी मेरे अनुसार नहीं हो सकते। सबकुछ मेरे अनुसार नहीं चलेगा। हर आत्मा की यात्रा अपनी-अपनी है। हर आत्मा के संस्कार अपने-अपने है। हर आत्मा का भाग्य अपना-अपना है। प्रतिदिन इन विचारों को रिपीट करना है। जब हम अपनी मन की भावनाओं को किसी के सामने व्यक्त नहीं कर पाते हैं उस समय अपनी सारी भावनाओं को पेपर में लिख लें क्योंकि लिखने से मन बहुत हल्का हो जाता है और तनाव 50% तक काम हो जाता है। जीवन को खुशनुमा जीवन के लिए कमल भाई जी ने दूसरा सिद्धांत बताया कि सभी को धन्यवाद देना है। जो मुझे मिला है उसका शुक्रिया करना है। अपने आप को स्वीकार कराना है मुझे किसी से कुछ नहीं चाहिए। वही व्यक्ति दूसरों को प्रोत्साहित कर सकता है जो स्वयं खुश हो इसलिए हमें दूसरों से अपेक्षा नहीं रखती है कि वह हमें प्रोत्साहित करें या सम्मान दें क्योंकि वह भी हमसे वही चाहता है। जीवन को कॉम्पटीशन बना दिया है। जीवन कोई रेस नहीं है। रेस करनी है तो स्वयं से करें। हमें प्रतिदिन कुछ नया सीखना है। खुशी वर्तमान में है खुशी के लिए बाहर किसी पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है। खुशनुमा जीवन के लिए तीसरा सिद्धांत है क्षमा करना। जब हम दूसरों को माफ करते हैं तब वास्तव में हम स्वयं को माफ करते हैं। जीवन मे खुशी प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन रात को पहले माफ करना और माफी मांग कर सोना है। किसी भी शक्ति को बढ़ाने के 2 तरीके है, एक याद याद करना दूसरा उसका उपयोग करना। जितना याद करते है वह उतना बढ़ता जाता है। राजयोग भवन में आयोजित “उपहार खुशियों का”कार्यक्रम में सैकड़ो लोग उपस्थित होकर अपने जीवन को खुशनुमा बनाने के टिप्स सीखें।
इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत परमपिता परमात्मा की याद के साथ दीप प्रज्वलन कर किया गया। कार्यक्रम में माउंट आबू से पधारे बीके हितेश भाई, सेवाकेन्द्र संचालिका बीके स्वाति दीदी, सिम्स हॉस्पिटल की डॉ रेखा बारापात्रे, डॉ सागरिका प्रधान, डॉ समीक्षा शर्मा, अंजू दुआ जी, लाइंस क्लब एंबेसडर डॉ कमल छाबड़ा जी, वरिष्ठ समाजसेवी नानकराम मखीजा जी, डॉ कृष्ण तिवारी जी ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की। बीके संतोषी दीदी ने कुशल मंच संचालन किया। सैकड़ो कि संख्या में उपस्थित होकर लोगो ने अपने जीवन को खुशनुमा बनाने के टिप्स सीखें।
ईश्वरीय सेवा में,
बीके स्वाति
राजयोग भवन, बिलासपुर