
शिक्षा और संस्कार से ही हमारे भविष्य का निर्माण होता है – बीके स्वाति दीदी
05 सितम्बर 2024, बिलासपुर। किसी महान सपने की शुरुआत एक शिक्षक के साथ ही होती है। एक शिक्षक ही होता है जो हमें उस हिमालय शिखर तक लेकर जाता है जहां से हम अपने नाम की बुलंदी का झंडा फहरा सकते हैं।
उक्त वक्तव्य प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय बिलासपुर की मुख्य शाखा टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन में आयोजित शिक्षक दिवस कार्यक्रम में सेवाकेन्द्र संचालिका बीके स्वाति दीदी ने कही। दीदी ने आगे जीवन में शिक्षक का महत्व बताते हुए कहा कि माता-पिता से बढ़कर गुरु का स्थान होता है क्योंकि माता-पिता बच्चों को जन्म देते हैं परंतु बच्चों को जीवन जीने की कला शिक्षक ही सीखते हैं। हमारे भविष्य को आकार देते हैं। जीवन जीने के लिए हम अपने माता-पिता के ऋणी हैं लेकिन एक अच्छे और सुंदर जीवन के लिए हम अपने गुरु के ऋणी है। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था कि यदि अपने देश को भ्रष्टाचार से मुक्त बनाना है, एक सुंदर मन वाले लोगों का देश बनाना है तो हमें तीन सिर्फ तीन लोगों की आवश्यकता है। वह तीन लोग है माता-पिता और गुरु। माता-पिता बच्चों को जन्म देने के बाद उन्हें संस्कार प्रदान करते हैं और गुरु उन्हें शिक्षा प्रदान करते हैं और शिक्षा और संस्कार से ही हमारे भविष्य का निर्माण होता है। शिक्षक ही वह मूर्तिकार है जो बच्चों का भविष्य निर्माण करता है। पहली शिक्षक मां होती है। जब बालक मां की गोद में आता है तो वह एक गीली मिट्टी के समान होता है और उस गीली मिट्टी को जैसे सांचे में डालें वह बच्चा वैसा ही तैयार हो जाता है। दूसरा शिक्षक विद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षक होते हैं। राधाकृष्णन जी ने कहा था कि चरित्र का निर्माण सदन में नहीं कक्षा कक्ष में होता है। तीसरा शिक्षक जीवन में जो किसी विशेषता को आगे बढ़ाने में सहयोग करते हैं वह दोस्त, जीवन साथी या कोई भी हो सकते है और चौथा सबसे मुख्य परम शिक्षक परमपिता परमात्मा। जो जीवन में दिव्य गुणों की खुशबू भरते हैं। ब्रह्माकुमारी विश्व विद्यालय में प्रतिदिन राजयोग की पढ़ाई होती है जिससे मनुष्य अपने अंदर की बुराइयों को समाप्त कर अपने अंदर दिव्य विशेषताओं को लेकर के आता है।
शिक्षक दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में राजयोग भवन के ब्रह्माकुमार भाई-बहनों ने सेवाकेंद्र संचालिका बीके स्वाति दीदी, बीके संतोषी दीदी एवं अन्य राजयोग शिक्षिका बहनों का तिलक, पुष्पगुच्छ, ताज एवं श्रीफल देकर सम्मान किया। परम शिक्षक शिवबाबा एवं दीदियों से प्राप्त पालना का अनुभव सुनाया। अंत में सभी को प्रसाद वितरित किया गया।
ईश्वरीय सेवा में,
बीके स्वाति
राजयोग भवन, बिलासपुर
