सेंट्रल रेल्वे हायर सेकेंड्री स्कूल (1)एवम गजानंद सारथी प्राथमिक शाला राजेंद्रनगर बिलासपुर में लोकमाता अहिल्याबाई पर व्याख्यान ।
पुण्य श्लोका लोकमाता अहिल्याबाई के 300 वे जन्म सताब्दी समारोह पूरे देश के साथ बिलासपुर में भी चल रहा है , बिलासपुर जिला आयोजन समिति सभी विद्यालयों ,महाविद्यालयों , सामाजिक , धार्मिक , प्रबुद्धजनों के बीच जाकर देवी अहिल्याबाई होलकर के जीवन वृतांत की जानकारी दे रहे हैं साथ ही उनके जीवन से प्रेरणा लेने प्रेरित कर रहे हैं ,इसी क्रम में सेंट्रल रेल्वे स्कूल ,एवम गजानंद सारथी स्कूल राजेंद्रनगर बिलासपुर में व्याख्यान किया गया जिसमें मुख्यवक्ता पूर्णेदु भट्ट ने अहिल्याबाई के विषय पर जानकारी देकर प्रेरणा लेने प्रेरित किया उन्होंने बताया कि कैसे एक साधारण परिवार कि लड़की ,असाधारण कार्य कि ,उनके जीवन मे बहुत ही संघर्ष आये ,उनके परिवार में पति ,पुत्र पुत्री ससुर एक के बाद एक साथ छोड़ काल की गाल में समाते गए और उस परिस्थिति में भी महिला होते हुए राजधर्म का निर्वहन किया , उनकी न्याय करने की नीति सभी के लिए समान थी एक बार उनके पुत्र रथ से जा रहे थे तो रास्ते मे बैठी नव प्रसूता गाय अपने बछड़े के साथ बैठी थी उनके पुत्र के रथ से नव प्रसूता गाय का बछड़ा कुचल जाता है ,जिससे बछड़ा मृत हो जाता है , अहिल्याबाई अपने राजतंत्रीय व्यवस्था में एक विशेष व्यवस्था रखी थी उनके महल के सामने एक बड़ा घंटा बंधा था जिसे कोई भी बजाकर न्याय मांग सकता था ,मृत बछड़े गायमाता ने भी उस घंटे को बजाई ,घण्टे का आवाज सुनकर अहिल्याबाई अपने महल से बाहर निकली कोई फरियादी आया होगा सामने गाय को देखकर अहिल्याबाई उसके मालिक का पता लगाने सिपाहियों को बोलती है कुछ ही समय मे सिपाही गाय के मालिक को सामने उपस्थित कर देते है ,रानी पूछती है क्यो इस गौ माता को क्या तकलीफ है ,क्या इसे चारा या जल की व्यवस्था नही देते या कोई और तकलीफ है ,गाय का मालिक रानी से कहता है, हे राजमाता अगर मुझे मृत्युदंड नही देंगे तो बताऊंगा , अहिल्याबाई बोलती है निर्भय होकर बोलो तब गाय का मालिक बताता है कि उनके पुत्र के रथ से इस गाय का बछड़ा मृत हो गया है ,इसलिए गौ माता आपसे न्याय मांगने आई थी ,तुरंत उन्होंने अपनी बहू को बुलाकर राजदरबार में प्रश्न किया किसी निरपराध को अगर कोई रथ से कुचल कर मार डाले तो उसके साथ क्या न्याय करना चाहिये ,तब उनकी बहू ने कहा अपराधी को भी वैसा ही रथ से कुचल कर मार देना चाहिए , तब फिर अहिल्याबाई अपने बहु से पूछती है ,अगर अपराधी तुम्हारा पति होगा तो क्या करना चाहिए तो उनकी बहु ने कहा उनको भी उसी तरह दंड मिलना चाहिए , तुरंत उसी समय राजदरबार से अपने पुत्र को रथ से कुचलकर मृत्यु दंड की सजा सुनाती है ,दूसरे दिन उनके पुत्र को सड़क पर बांधकर लिटा दिया जाता है ,परन्तु कोई रथ से कुचलने को तैयार नही होता तो स्वयं वो रथ पर सवार होकर अपने बेटे को कुचलने के लिए रथ बढ़ाती है ,लेकिन वो गाय बीच मे आ जाती है बार बार हटाने पर भी गाय बीच मे आड़े आ जाती थी ,तब उनके मंत्रिमंडल के सदस्य समझाते हैं गौ माता नही चाहती कि जैसे उनका बच्चा मर गया वैसे किसी और माँ के साथ हो ऐसा न्याय प्रिय थी अहिल्याबाई ,आज भी इंदौर में जहाँ गाय अहिल्याबाई का रथ रोका था उसे आड़ाबाजार के नाम से जाना जाता है । कार्यक्रम में विषय प्रवर्तक(भूमिका) कर रहे जिला आयोजन समिति के जिलाध्यक्ष ने बताया कि रानी अहिल्याबाई जब राजतंत्र की व्यवस्था अपने हाथ मे ली तो सभी दृष्टिकोण से पता करने लगी कि कैसा है वित्तव्यवस्था ,सुरक्षा व्यवस्था , करव्यवस्था , शस्त्रव्यवस्था ऐसे सभी राजकीय कार्य के लिए जो आवश्यक होते हैं उनकी जानकारी ली तब पता चला कि उनके शस्त्रागार में मात्र उस समय 3 बंदूक थे और तोप तो थे ही नही ,उन्होंने बंदूकों को खरीदने के लिए आदेश दिया जिसपर अंग्रेज चार गुना कीमत पर बंदूकों को देने तथा सीमित मात्रा में देने तैयार हुए ,उन्होंने अपने राज्य में खुद बंदूक एवम तोप बनवाने का कार्य प्रारंभ किया ,जिससे शस्त्र की पूर्ति हुई लोगो को रोजगार का अवसर मिला तथा उनके राजकोषीय आर्थिक छती पर रोक लगा साथ ही उन्होंने 300 वर्ष पहले ही स्वदेशी वस्तु को प्राथमिकता दी ,ऐसी सर्वदृष्टिकोण के सोच रखने वाली बुद्धिचातुर्य रानी थी ।
दोनों स्कूलों के प्राचार्य महेश बाबू , एवम मोहन पटेल ,जिला कार्यसमिति सदस्य महेश ठाकुर , शिक्षक ,महिला शिक्षक ,एवम बड़ी संख्या में बच्चे उपस्थित थे ।
धीरेंद्र दुबे
जिलाध्यक्ष
जिला आयोजन समिति

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