बिलासपुर। गुरू घासीदास विश्वविद्यालय (केंद्रीय विश्वविद्यालय) में दिनांक 10 जनवरी, 2024 को विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय में राजभाषा प्रकोष्ठ तथा हिंदी विभाग द्वारा विभिन्न ऑफलाइन एवं ऑनलाइन कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा कि हिंदी हमारी अभिव्यक्ति की भाषा है जिसमें हम अपने विचारों और अहसास को व्यक्त करते हैं। हिंदी हमारे और आपके दिल की भाषा है। उन्होंने कहा कि हिंदी वास्तव में भाषाओं का महासागर है जिसके विस्तार को कोई नहीं रोक सकता।
राजभाषा प्रकोष्ठ द्वारा मध्याह्न 12 बजे से आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. विनय कुमार पाठक, कुलपति, थावे विद्यापीठ गोपालगंज, बिहार ने कहा कि हिंदी भाषा समय के अनुसार शब्द निर्माण में सक्षम है। उन्होंने कहा कि हिंदी की ताकत उसकी बोलियां हैं।
इससे पूर्व अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर मां सरस्वती एवं संत गुरु घासीदास जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पण किया गया। अतिथियों का स्वागत किताबों के माध्यम से किया गया। हिंदी अधिकारी श्री अखिलेश तिवारी ने स्वागत भाषण दिया। मंचस्थ अतिथियों का शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मान किया गया। कार्यक्रम के अंत में कुलसचिव प्रो. मनीष श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापन एवं संचालन डॉ. ज्योति वर्मा सहायक प्राध्यापक शिक्षा विभाग ने किया।
हिंदी भाषा का संबंध दिल से है- कुलपति प्रो. चक्रवाल
विश्व हिंदी दिवस पर हिंदी विभाग में हुआ विशेष व्याख्यान का आयोजन


विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर अपराह्न 3 बजे से विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा ब्लेंडेड मोड में सामाजिक सुधार आंदोलन और हिंदी भाषा की भूमिका विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता नारीवादी चिंतक एवं भीमराव अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू मध्य प्रदेश की पूर्व आचार्य प्रो. कुसुम त्रिपाठी रहीं वहीं अध्यक्षता विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने की।
आभासी माध्यम से जुड़ीं मुख्य वक्ता प्रो. कुसुम त्रिपाठी ने कहा कि हिंदी के सामाजिक सुधार के आंदोलन और लोकवृत्त को व्याख्यायित करते हुए हिन्दी भाषा की भूमिका पर भी विस्तृत प्रकाश डाला। हिंदी भाषा भारतीय जनमानस के संवेदनाओं की भाषा है।
कार्यक्रम में माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में हिंदी भाषा की उपयोगिता और वैश्विक पटल पर हिंदी के बढ़ते कदमों के विषय में चर्चा की। उन्होंने कहा कि हिंदी का विस्तार भौगोलिक सीमाओं से परे है। इस अवसर पर उन्होंने इस दौरान अपनी स्वरचित कविताओं का भी पाठ किया।
इससे पूर्व स्वागत उद्बोधन एवं अंत में धन्यवाद ज्ञापन हिंदी विभाग की अध्यक्ष डॉ. गौरी त्रिपाठी ने दिया। संचालन डॉ. रमेश गोहे सहायक प्राध्यापक हिंदी विभाग ने किया। इस अवसर पर विभिन्न विद्यापीठों के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्षगण एवं शिक्षकगण, अधिकारीगण एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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