

मेडिटेशन वह छेनी है जो पत्थर को सुन्दर मूर्ति में बदल देती है – बीके स्वाति दीदी
21 दिसम्बर 2024, बिलासपुर। संयुक्त राष्ट्र ने 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के रूप में घोषित किया है। जो मानवता की सेवा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पहल का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर मेडिटेशन के महत्व को पहचानना और इसे लोगों के दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना है। ध्यान का अभ्यास न केवल व्यक्तिगत जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालता है बल्कि यह समाज और समुदाय में भी शांति, सद्भाव और संतुलन को प्रोत्साहित करता है। ध्यान के माध्यम से हम अपनी आंतरिक शक्तियों को जागृत कर सकते हैं। जिससे न केवल हमारा जीवन स्वस्थ और संतुलित बनता है बल्कि हम संगठित रूप से एक शांतिपूर्ण, श्रेष्ठ समाज की स्थापना में योगदान दे सकते हैं।
उक्त वक्तव्य प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय बिलासपुर की मुख्य शाखा पुराना बस स्टैंड रोड स्थित राजयोग भवन की संचालिका भी के स्वाति दीदी ने विश्व ध्यान दिवस के उपलक्ष्य में कहा। दीदी ने ध्यान का अर्थ बताते हुए कहा कि जब हम किसी की प्रवाह करते है तब हम उसे कहते है अपना ध्यान रखना। हम भौतिक सभी वस्तु, व्यक्ति का ध्यान रखते है परन्तु अब ध्यान अर्थात अपने मन का ध्यान रखना, अपनी सोच का ध्यान रखना, अपने शब्दों का ध्यान रखना, अपने कर्मों का ध्यान रखना है। परिवर्तन संसार का नियम है। दुनिया निरंतर परिवर्तनशील है। मेडिटेशन अज्ञानता और अंधकार से ढके हुए मानव जीवन में एक नया उजाला लाता है। आज हर व्यक्ति का मन बाहर की दुनिया में भटक रहा है। लेकिन जीवन में आने वाली हर समस्या का समाधान हमारे भीतर ही है। जब मेडिटेशन के माध्यम से हम अंतर्मुख होंगे तो स्वयं को शांत स्वरूप, प्रकाशवान तेजस्वी, ऊर्जावान, दिव्य स्वरूप और आत्म स्वरूप में स्थित कर पाएंगे। आज हमें इस संसार की समझ तो है लेकिन स्वयं को सत्य स्वरूप में समझना नहीं चाहते। राजयोग मेडिटेशन मन को आंतरिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है और मानव जीवन को संतुलित व संतुष्ट बनता है। मेडिटेशन व्यवहार को शांत, उत्तम, दिव्य और श्रेष्ठ बनाकर संबंधों में सुधार लाता है। मन की मलीनता को दूर करता है। जैसे कोई पत्थर को हथौड़ी से तोड़े तो वह टूट जाता है, लेकिन मेडिटेशन वह छेनी है जो पत्थर को सुन्दर मूर्ति में बदल देती है।
दीदी ने आगे कहा कि राजयोग मेडिटेशन आत्मा के मूल गुणों जैसे सत्यता, पवित्रता, त्याग, सहनशीलता, धैर्य, दया, करुणा और सेवा को जागृत करता है। मेडिटेशन के अभ्यास से आत्मा स्वयं की मित्र और स्वयं की प्रिय बन जाती है तथा अपने आप को गौरवान्वित अनुभव करती है। मेडिटेशन मानव जीवन को तनाव, भय, चिंता से मुक्त करता है। यह नकारात्मक और हिन भावनाओं को समाप्त कर, बुद्धि को रचनात्मक बनाता है। यह श्वास की गति, हृदय गति और रक्तचाप को नियंत्रित करता है।
आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में सुकून भरी नींद के लिए मेडिटेशन आवश्यक है। यह चिंता, दर्द और बीमारियों जैसे हृदय रोग और कैंसर में भी राहत प्रदान करता है। यह एकाग्रता बढ़ाने, मनोबल को मजबूत करने और जीवन को व्यसनों एवं अपराधी प्रवृत्तियों से मुक्त करने में सहायक है। आध्यात्मिकता की राह पर चलने के लिए मेडिटेशन अत्यंत आवश्यक है।
बीके स्वाति दीदी ने बताया कि राजयोग भवन शहर का सबसे पुराना मेडिटेशन सेंटर है। जहां 40 वर्षो से प्रतिदिन अनवरत योग तपस्या साधना मेडिटेशन चल रहा है। राजयोग भवन के मेडिटेशन कक्ष का वातावरण ही शांति और सुकून और समस्या का समाधान देने वाला है। अभी वहां 51 दिवसीय अखंड योग साधना चल रही है। जिसमें प्रतिदिन अनेको भाई-बहने आकर मेडिटेशन का अभ्यास करते हैं। स्वाति दीदी ने नगर वासियों से आह्वान किया कि विश्व ध्यान दिवस के उपलक्ष्य में कम से कम एक दिन सुबह 08 बजे से संध्या 08 बजे के बीच किसी भी समय आकर आप भी ध्यान अवश्य करें एवं अपने जीवन में सुख, शांति का अनुभव करें।
ईश्वरीय सेवा में,
बीके स्वाति
राजयोग भवन, बिलासपुर

