शतायु रही दादी जी अपनी अलौकिक मुस्कान से अनेकों के जीवन में खुशियों का संचार किया – बीके स्वाति दीदी
08 अप्रैल 2025 बिलासपुर। नारी शक्ति के दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक संगठन प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतन मोहिनी जी आज प्रातः 1:20 मिनट पर देहावसान हो गया। दादीजी 101 वर्ष की थीं।
देश-विदेश के संस्था के वरिष्ठ दीदियां, वरिष्ठ जन व पदाधिकारी मुख्यालय पहुंच गए है। ब्रह्माकुमारीज़ बिलासपुर की मुख्य शाखा टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन सेवाकेंद्र संचालिका बीके स्वाति दीदी ने बिलासपुर ब्रह्माकुमारीज परिवार के सभी भाई बहनों की ओर से दादी जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किया। 10 अप्रैल को दादी जी के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया जाएगा।
स्वाति दीदी ने बताया कि नारी शक्ति के सबसे बड़े संगठन ब्रह्माकुमारीज़ की मुखिया राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी स्थापना से लेकर आज वटवृक्ष बनने की साक्षी रहीं हैं। दादीजी का जन्म 25 मार्च 1925 को सिंध हैदराबाद में हुआ था। 1937 में मात्र 13 वर्ष की आयु में ही ब्रह्माकुमारीज से जुड़ीं और पूरा जीवन समाज कल्याण में समर्पित कर दिया। 101 वर्ष की आयु में भी दादी की दिनचर्या अलसुबह ब्रह्ममुहूर्त में 3.30 बजे से शुरू हो जाती थी। सबसे पहले वह परमपिता शिव परमात्मा का ध्यान करती थी। राजयोग मेडिटेशन उनकी दिनचर्या में शामिल रहा।
25 मार्च 1925 को सिंध हैदराबाद के एक साधारण परिवार में दैवी स्वरूपा बेटी ने जन्म लिया। माता-पिता ने नाम रखा लक्ष्मी। किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि कल यही बेटी अध्यात्म और नारी शक्ति का जगमग सितारा बनकर सारे जग को रोशन करेगी। बचपन से अध्यात्म के प्रति लगन और परमात्मा को पाने की चाह में मात्र 13 वर्ष की उम्र में लक्ष्मी ने विश्व शांति और नारी सशक्तिकरण की मुहिम में खुद को झोंक दिया। ब्रह्माकुमारीज़ की स्थापना से लेकर आज तक 87 वर्ष की यात्रा की साक्षी रही हैं। दादीजी के नेतृत्व में 50 हजार ब्रह्माकुमारी पाठशाला संचालित हो रहे है। दादीजी 50 हजार ब्रह्माकुमारी बहनों की हैं नायिका रहीं। दादीजी के मार्गदर्शन में ही ब्रह्माकुमारी बहनें अपना सम्पूर्ण जीवन विश्व कल्याण के लिए समर्पित करती रहीं है। 5500 सेवाकेंद्र दादी के मार्गदर्शन में संचालित हो रहे है।
1954 में जापान में हुए विश्व शांति सम्मेलन में दादी जी ने ब्रह्माकुमारीज़ संस्था का प्रथम विदेश सेवा का प्रतिनिधित्व किया। जिसके बाद जन मानस में आध्यात्मिकता की अलख जगाई। दादी जी को राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से भी नवाजा गया है। युवा प्रभाग द्वारा दादीजी के नेतृत्व में 2006 में निकाली गई स्वर्णिम भारत युवा पदयात्रा द्वारा पूरे देश में 30 हजार किमी का सफर तय किया गया। इसमें पांच लाख ब्रह्माकुमार भाई-बहनों ने भाग लिया। सवा करोड़ लोगों को शांति, प्रेम, एकता, सकारात्मक विचार, तनाव मुक्त, विश्व बंधुत्व, अध्यात्म, व्यसनमुक्ति और राजयोग ध्यान का संदेश दिया गया। इस स्वर्णिम भारत युवा पदयात्रा में बिलासपुर मुख्य सेवाकेंद्र संचालिका बीके स्वाति दीदी ने भी नागपुर से रायपुर तक विभिन्न शहरों एवं गांवों की 21 दिनों में 1100 किलोमीटर पदयात्रा करके ब्रह्माकुमारीज़ के इतिहास में एक नया अध्याय लिखा।
शतायु रही दादी जी अपनी अलौकिक मुस्कान से अनेकों के जीवन में खुशियों का संचार किया। आगे भी दादी जी के अद्भुत अलौकिक जीवन से सभी प्रेरणाएं लेते रहेंगे।
ईश्वरीय सेवा में,
बीके स्वाति
राजयोग भवन, बिलासपुर

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