भारत के हिंदवी स्वराज का इतिहास भव्य एवं गौरवशाली- कुलपति प्रो. चक्रवाल

बिलासपुर। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (केंद्रीय विश्वविद्यालय) नैक से ए++ ग्रेड प्राप्त विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा दिनांक 08 मई, 2025 को सुबह 11 बजे विक्ट्री ऑफ हिंदवी स्वराज ओवर अटक एंड मुल्तान बाय मई 8, 1758 विषय पर ऑनलाइन माध्यम से व्याख्यान का आयोजन किया गया। ऑनलाइन व्याख्यान के मुख्य अतिथि एवं वक्ता प्रो. भगवती प्रसाद शर्मा, पूर्व कुलपति, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, नोएडा यूपी एवं विशिष्ट अतिथि प्रो. रामेन्द्रनाथ मिश्र, पूर्व विभागाध्यक्ष, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर रहे। व्याख्यान कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने की।
व्याख्यान कार्यक्रम के संरक्षक एवं अध्यक्ष विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा कि इतिहास का अवलोकन एवं लेखन सरल नहीं इसलिए संस्कृति और सभ्यताओं को जीवित रखने के लिए भारत के गौरवशाली एवं वैभवशाली इतिहास का दस्तावेजीकरण आवश्यक है। छत्रपति शिवाजी महाराज का अदम्य साहस, अद्वितीय नेतृत्व क्षमता, दृढ़ संकल्प और लोक कल्याणकारी संवेदनशील कार्यप्रणाली ने मराठाओं को शक्तिशाली बनाया। उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिंदवी स्वराज की स्थापना करते हुए विभाजनकारी और दमनकारी इस्लामी शासन का प्रतिरोध किया।
कुलपति प्रोफेसर चक्रवाल ने कहा कि भारतीय अस्मिता, सभ्यता और संस्कृति तभी अक्षुण्ण रहेगी जब हम एकजुट रहेंगे। मराठों ने न केवल मुगलों को हराया, बल्कि 18वीं शताब्दी के अधिकांश समय में ब्रिटिश हुकूमत को भी भारत पर कब्जा करने से रोका। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग को भारतीय इतिहास को सहेजने के लिए सकारात्मक प्रयास करना चाहिए।
मुख्य अतिथि एवं वक्ता प्रो. भगवती प्रसाद शर्मा, पूर्व कुलपति, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, नोएडा उत्तर प्रदेश ने कहा कि 08 मई, 1758 का दिन भारत का सबसे गौरवशाली दिन है। तत्कालीन भारतीय क्षेत्र के 80 फीसदी क्षेत्रफल पर हिंदवी स्वराज का अधिकार था। उन्होंने कहा कि पेशवा की सत्ता कमजोर होने से मराठों का शासन कमजोर हुआ। मुगलों या अंग्रेजों के पास फौज में अपने सिपाही कम और भारतीय सिपाही ज्यादा थे।
विशिष्ट अतिथि प्रो. रामेन्द्रनाथ मिश्र, पूर्व विभागाध्यक्ष, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर ने कहा कि भारत का इतिहास गौरवशाली एवं वैभवशाली है। अटक से कटक और कश्मीर से तंजावुर तक हिंदवी स्वराज का साम्राज्य फैला हुआ था। मुगलों से पूर्व दिल्ली के किले पर मराठों का राज था। हिंदवी स्वराज का विचार छत्रपति शिवाजी महाराज का था जिसने राष्ट्र को हिंदुत्व और गौरव से जोड़ने का काम किया। भारतीय इतिहास को अंग्रेजों ने गलत ढ़ग से प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि इतिहास के पुनर्लेखन एवं पुर्नावलोकन का यह सही समय है। संकल्पित होकर नये तथ्यों के साथ युवाओं को नवीन इतिहास से अवगत कराना हमारा दायित्व है।
इस अवसर पर व्याख्यान कार्यक्रम के सह-संरक्षक विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. ए.एस.रणदिवे एवं प्रो. आर.के. प्रधान, अधिष्ठाता सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ ने अपने विचार व्यक्त किये। व्याख्यान कार्यक्रम की समन्वयक प्रो. सीमा पाण्डेय, विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग ने स्वागत भाषण दिया। संयोजक प्रो. प्रवीन कुमार मिश्रा ने विषय प्रवर्तन तथा संचालन एवं धन्यावद ज्ञापन आयोजन सचिव डॉ. घनश्याम दुबे ने किया।

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