
डी.पी. विप्र महाविद्यालय, बिलासपुर (छ.ग.) में 27 सितम्बर 2025 को “स्वदेशी जागरण मंच स्वावलम्बी भारत अभियान उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलन” का भव्य आयोजन हुआ। यह सम्मेलन महाविद्यालय की स्मार्ट कक्षा क्रमांक 01 में दोपहर एक बजे प्रारम्भ हुआ। महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. (श्रीमती) अंजू शुक्ला की गरिमामयी उपस्थिति में आयोजित इस सम्मेलन ने पूरे परिसर में स्वदेशी चेतना और उत्साह का वातावरण निर्मित कर दिया।

इस आयोजन में विशिष्ट अतिथियों और प्राध्यापकों का एक प्रभावशाली समूह उपस्थित रहा जिसमें डॉ. नीताश्रीवास्तव, डॉ. देवेंद्र कौशिक, डॉ. सुशील श्रीवास्तव, डॉ. मनीष तिवारी, डॉ. एम.एस. तंबोली, डॉ. किरण दुबे, डॉ. आभा तिवारी, श्री नारायण गिरी गोस्वामी, प्रो. यूपेश कुमार, प्रो. रुपेन्द्र शर्मा, प्रो. आकांक्षा गौतम, प्रो. हैल्सियन कान्त, प्रो. ए. श्रीराम और प्रो. निधिश चौबे शामिल रहे। महाविद्यालय के पूर्व छात्र संघ के अध्यक्ष श्री अविनाश सेठी ने भी विशेष रूप से सम्मेलन में भाग लिया। साथ ही महाविद्यालय के समस्त शिक्षण–गैर शिक्षण स्टाफ और बड़ी संख्या में छात्र–छात्राएँ तथा एन.एस.एस. स्वयंसेवक उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों, प्राध्यापकों और स्वयंसेवकों में स्वदेशी, आत्मनिर्भरता और उद्यमिता के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना था। स्वदेशी भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का एक महत्वपूर्ण आधार रहा है। 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध के समय स्वदेशी आंदोलन ने पूरे देश में न केवल अंग्रेजी शासन के विरुद्ध प्रतिरोध की भावना जगाई, बल्कि भारतीय समाज के भीतर अपने उत्पादों, अपने उद्योगों और अपनी परंपराओं को सम्मान देने की प्रेरणा भी दी। आगे चलकर महात्मा गांधी ने भी ‘स्वदेशी’ को आत्मनिर्भरता और आत्मसम्मान का आधार माना। चरखा और खादी इसी स्वदेशी आंदोलन के प्रतीक बने। आज के वैश्विक परिप्रेक्ष्य में स्वदेशी की यह भावना नये रूप में, उद्यमिता, नवाचार और स्थानीय संसाधनों के उपयोग के रूप में प्रकट हो रही है।

सम्मेलन के दौरान वक्ताओं ने विस्तारपूर्वक बताया कि किस प्रकार स्वदेशी केवल आर्थिक स्वावलम्बन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक और सामाजिक पुनर्जागरण का भी आधार है। डॉ. अंजू शुक्ला ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह सम्मेलन महाविद्यालय के विद्यार्थियों के मन में स्वदेशी और आत्मनिर्भरता के बीज बोने का प्रयास है। प्रो. यूपेश कुमार ने इतिहास के उदाहरण देते हुए बताया कि स्वदेशी आंदोलन ने भारतीय जनता को औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त किया और देश को अपनी आर्थिक शक्ति के प्रति सजग किया। डॉ. मनीष तिवारी ने छात्रों को आधुनिक स्टार्ट–अप संस्कृति और स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन की संभावनाओं की ओर प्रेरित किया। डॉ. एम.एस. तंबोली ने संसाधनों के समुचित उपयोग और उद्यमिता को ग्रामीण क्षेत्रों तक ले जाने की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. किरण दुबे और डॉ. आभा तिवारी ने विशेष रूप से छात्राओं को स्वावलम्बी बनने और नवाचार में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया। श्री नारायण गिरी गोस्वामी, प्रो. ए. श्रीराम, प्रो. निधिश चौबे तथा श्री अविनाश सेठी ने भी छात्रों को स्वदेशी विचारधारा, राष्ट्र सेवा और आत्मनिर्भरता के प्रति प्रेरित करने वाले विचार व्यक्त किए।

इस आयोजन की सफलता में एन.एस.एस. के स्वयंसेवकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। दीपिका, रिद्धि, आंचल गुप्ता, आंचल खांडेकर, संजना, संगीता, डेनिम, सानिया, मंदाकिनी, किरण, चांदनी, सूरज, जयंत, नवनीत, डीकेश, प्रथम, प्रकाश, सुरेश, बासु, विपिन, राहुल, मनस्वी, मोहनेश सहित अनेक स्वयंसेवकों ने पंजीयन, बैठक व्यवस्था, मंच संचालन, अतिथियों का स्वागत और अन्य सभी व्यवस्थाओं में सक्रिय सहयोग दिया। उनकी लगन और समर्पण ने यह सिद्ध कर दिया कि युवा वर्ग यदि प्रतिबद्ध हो तो किसी भी आयोजन को उत्कृष्ट स्तर तक पहुँचाया जा सकता है।

महाविद्यालय के शिक्षकों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों ने स्वदेशी आंदोलन के इतिहास और वर्तमान महत्व पर सार्थक चर्चा की। सभी ने इस विचार को स्वीकार किया कि आज के समय में ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियान स्वदेशी के नये रूप हैं। ऐसे अभियानों को सफल बनाने के लिए युवाओं को स्वदेशी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, उसकी आर्थिक–सामाजिक अवधारणा और उसकी शक्ति को समझना आवश्यक है।
डी.पी. विप्र महाविद्यालय के इस आयोजन ने न केवल छात्रों के भीतर उद्यमिता और स्वावलम्बन के प्रति जागरूकता बढ़ाई बल्कि उन्हें यह भी सिखाया कि राष्ट्र निर्माण केवल सरकार या किसी संस्था का कार्य नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। यह सम्मेलन नयी पीढ़ी को स्वदेशी के आदर्शों से जोड़ने और भारतीय परंपरा व नवाचार के संगम को स्थापित करने का एक महत्त्वपूर्ण प्रयास बना।

महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. अंजू शुक्ला ने अंत में सभी प्राध्यापकों, अतिथियों, पूर्व छात्र संघ, एन.एस.एस. स्वयंसेवकों, कर्मचारियों और छात्रों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि डी.पी. विप्र महाविद्यालय समय-समय पर ऐसे कार्यक्रम आयोजित करता रहेगा ताकि विद्यार्थियों में राष्ट्रीय चेतना, उद्यमिता की भावना और स्वदेशी के प्रति गर्व की भावना का विकास होता रहे।
