वसुधैव कुटुम्बकम् भारतीय जीवनदृष्टि का मूल आधार— बीके स्वाति दीदी
19 नवम्बर 2025, बिलासपुर ।
भारतीय संस्कृति में कुटुंब केवल रक्त संबंधों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समग्र समाज और प्रकृति तक विस्तृत है। “वसुधैव कुटुम्बकम्” की भावना हमें यह सिखाती है कि पूरा विश्व ही हमारा परिवार है और इस विशाल परिवार के सुख, संतुलन और सुरक्षा की जिम्मेदारी भी हमारी ही है। परिवार के भीतर प्रेम, सम्मान, सहयोग और संवाद जैसी सद्गुणों की स्थापना से ही एक स्वस्थ समाज का निर्माण संभव है।
सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, जयरामनगर में विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान द्वारा आयोजित “सप्त शक्ति संगम” कार्यक्रम की मुख्य वक्ता ब्रह्माकुमारीज बिलासपुर की संचालिका बीके स्वाति दीदी ने कहा। “कुटुंब प्रबोधन एवं पर्यावरण के संबंध में भारतीय दृष्टि” विषय पर उद्बोधन देते हुए दीदी ने कहा कि आज के समय में कुटुंबों में बढ़ती दूरी, तनाव, मूल्यहीनता और संवादहीनता समाज में अनेक चुनौतियाँ उत्पन्न कर रही हैं। भारतीय ज्ञान परंपरा में घर को “गृहस्थ आश्रम” कहा गया है—जिसका अर्थ है कि यह केवल रहने का स्थान नहीं, बल्कि मूल्य, संस्कार और जीवन-पद्धति का केंद्र है। यदि हमारा परिवार मजबूत है, तो समाज मजबूत है, और यदि समाज मजबूत है, तो राष्ट्र स्वाभाविक रूप से प्रगतिशील होता है।
बीके स्वाति दीदी ने पर्यावरण संरक्षण पर बोलते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति प्रकृति को माता के रूप में पूजती है। वृक्षों, नदियों, पर्वतों, पशु-पक्षियों आदि को देवतुल्य मानने की परंपरा यही दर्शाती है कि प्रकृति के साथ भावनात्मक और संतुलित व्यवहार हमारी सभ्यता का मूल तत्व रहा है। उन्होंने बताया कि प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग और संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग जैसी समस्याओं का समाधान तभी संभव है जब मनुष्य अपने भीतर आत्म-नियंत्रण, संतुलन, संतुष्टता जैसे गुणों को विकसित करे। पर्यावरण संरक्षण का वास्तविक अर्थ है—स्वयं को प्रकृति के साथ एकता में महसूस करना और आवश्यकता के अनुसार ही उसका उपयोग करना।
अकलतरा सेवाकेन्द्र संचालिका बीके भुवनेश्वरी दीदी ने भारत के विकास में महिलाओं की भूमिका विषय पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में 150 से अधिक महिलाएं सम्मलित हुई। इसके पूर्व माँ सरस्वती की पूजा वंदना के साथ कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम में प्राचार्य देवेंद्र कुमार विश्वकर्मा, विद्यालय के सभी शिक्षकगण उपस्थित रहे।
ईश्वरीय सेवा में,
बीके स्वाति
राजयोग भवन, बिलासपुर

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