
भारतीय रेलवे द्वारा यात्रियों से संवाद के नाम पर शुरू की गई “अमृत संवाद” पहल का आयोजन आज उसलापुर स्टेशन में किया गया, लेकिन यह कार्यक्रम भी रेलवे की एक औपचारिक कवायद से ज़्यादा कुछ नहीं दिखा। मंडल रेल प्रबंधक राजमल खोईवाल ने यात्रियों और आमजनों से संवाद किया और उनकी प्रतिक्रियाएं लीं। मौके पर सीनियर डीसीएम अनुराग कुमार सिंह, डीसीएम एस. भारतीयन, उप मुख्य अभियंता एम.के. शाह समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

कार्यक्रम के दौरान यात्रियों ने स्टेशन पुनर्विकास, स्वच्छता, महिला सुरक्षा और दिव्यांग सुविधाओं पर सुझाव दिए। डीआरएम ने भरोसा दिलाया कि उपयोगी सुझावों पर अमल किया जाएगा। लेकिन हकीकत यह है कि बिलासपुर रेल मंडल के अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत कई स्टेशन अधूरे पड़े हैं। बिलासपुर स्टेशन का पुनर्विकास कार्य तो महीनों से ठप है — ठेकेदार के काम रोक देने से प्रोजेक्ट अधर में लटका हुआ है।

रेल अफसर भले ही यात्रियों से संवाद का दावा करें, लेकिन धरातल पर तस्वीर कुछ और ही है। यात्रियों को सुविधा के नाम पर अब भी जूझना पड़ रहा है, स्टेशन गंदे हैं, ट्रेनों की समयबद्धता अव्यवस्थित है और सुरक्षा व्यवस्था कमजोर बनी हुई है।
रेलवे के अधिकारी एसी कमरों में योजनाएं बनाकर “अमृत संवाद” जैसे आयोजन से अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, जबकि आम यात्री उसी बदहाल व्यवस्था से जूझने को मजबूर है। यात्रियों की आवाज़ सुनी तो जा रही है — लेकिन क्या उसे सच में अमल में लाया जाएगा? यह बड़ा सवाल बना हुआ है।

