माता पिता बच्चों से करें संवाद और बच्चों के लिए समय निकाले – जोगलेकर

एसडीएम बिलासपुर ने आज बोर्ड परीक्षा परिणाम के समय बच्चों के तनाव को दूर करने के लिए जिला प्रशासन एवं स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा चलाए जा रहे फेसबुक लाइव कार्यक्रम में बच्चों पालकों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा।उन्होंनेबालको से अपील की, कि अभी आगामी दिनों में 10वीं 12वीं के परीक्षा परिणाम आने वाले हैं अभी बच्चे फ्री हैं विद्यालय नहीं जा रहे हैं। अतः बहुत अच्छा मौका है कि आप अपने बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय व्यतीत करें। हो सके तो छुट्टी में बच्चों के साथ बाहर घूमने का प्रोग्राम बनाएं क्योंकि ऐसा मौका बार-बार नहीं मिलता। इस समय आप बच्चों के ऊपर कोई चीज थोपिये मत । यदि आपका बच्चा परीक्षा परिणाम को लेकर के चिंतित नजर आ रहा है तो ऐसे समय में उसे हर फील्ड के लोगों से मिलवाइए, जिससे बच्चा अपने लिए एक अच्छा रुचिकर फील्ड चुन सके। बच्चों को कहिए कि वह अपने एफर्ट पर फोकस करें,हर कार्य में अपना बेस्ट दे, परंतु रिजल्ट पर फोकस ना रहे।
श्री पीयूष तिवारी नेअपनी सफलता के बारे में बताया कि प्राइवेट नौकरी करते हुए जब पीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की तब 3 साल का टारगेट फिक्स किया था, अपना बेस्ट दिया और परिणाम सामने हैं कि जो सोचा था वह अपने तीसरे अटेम्प्ट में प्राप्त कर लिया। मैंने यह भी सोचा था कि यदि 3 साल में मुझे सफलता नहीं मिलती है डिप्टी कलेक्टर नहीं बन पाया तो मैं अपने पुराने जॉब में वापस चला जाऊंगा। बच्चों से उन्होंने कहा कि प्यारे बच्चों लाइफ में अप और डाउन्स लगा रहता है, 10वीं और 12वीं सफलता की पहली सीढ़ी है अंतिम नहीं। उन्होंने बिलासपुर के कलेक्टर अवनीश शरण का उदाहरण दिया जिन्होंने दसवीं में ग्रेस से पास होने के बावजूद भी यूपीएससी जैसी सबसेबड़ी परीक्षा को क्रैक किया था। उन्होने कहा कि एक या दो असफलता से हिम्मत नहीं हारना चाहिए। उन्होंने शिक्षा विभाग से भी अपील की कि बच्चों कोआत्म केंद्रित होने से बचने के लिए बच्चों के अधिक से अधिक टूर प्लान आयोजित किया जाना चाहिए, इसके अंतर्गत गवर्नमेंट स्कूल के बच्चों को प्राइवेट स्कूल और प्राइवेट स्कूल के बच्चों को गवर्नमेंट स्कूल – इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को शहर और शहरी क्षेत्र के बच्चों को गांव का एक्सपोजर विजिट कराएं जिससे बच्चे की सोच का दायरा बढ़ सके।उन्होंने आज छोटे बच्चों में ट्यूशन की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त करते हुए पालकों को आगाह किया कि बच्चों को ट्यूशन से मुक्त रखें । बच्चा जब तक मेच्योर नहीं हो जाता अर्थात दसवीं कक्षा के बाद ही बच्चों को कोचिंग सेंटर में भेजें उससे पहले नहीं । साथ ही उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों के मोटिवेशनल कोर्सेज क्लासेस और फिजिकल एक्टिविटी को भी लागू करने पर विशेष जोर दिया।

शाम के सत्र में बिलासपुर के प्रसिद्ध प्रेरकवक्ता श्री विवेक जोगलेकर जी ने बच्चों से फेसबुक लाइव कार्यक्रम के अंतर्गत सीधा संवाद किया। उन्होंने कहा कि कोई भी पालक यह कहता है कि मैं अपने बच्चों को पूरी तरह समझता हूं तो यह उसका भ्रम है, क्योंकि हर बच्चा एक स्वतंत्र इकाई है जिसकी अपनी दुनिया है। श्री जोगलेकर ने बच्चों के मनोविज्ञान के बारे में बताते हुए कहा कि वैज्ञानिक अनुसंधान से यह प्रमाणित हो गया है कि प्रत्येक बच्चा खास करके टीन एजर्स 14 से 21 वर्ष के बीच का बच्चा अपने जीवन में चार प्रतिक्रिया देता है- पहले पूर्वाभ्यास, दूसरा भावना, तीसरा आक्रामकता और चौथा सामाजिक समन्वय और बच्चा इन चारों के बीच में ही अपने आप को बैलेंस करके आगे बढ़ाने के लिए अपनी योजनाएं बनाता है। आज बच्चों में बढ़ते तनाव के बारे में उन्होंने कहा कि पहले संयुक्त परिवार होता था बच्चा अपने परिवार के लोगों से घुल मिलकर के रहता थाआज सीमित परिवार होने के कारण मां-बाप अपने बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास दोनों पर पूर्ण नियंत्रण रख करके बच्चे को बीमार कर दे रहे हैं। वर्तमान में छोटे परिवार में मां-बाप में आए दिन आपकी तनाव होते रहता है जिससे भी बच्चा तनाव तनाव ग्रस्त होते जा रहा है। उन्होंने अपील की की अपने बच्चों को दोस्तों के बीच रहने दीजिए, रोक-टोक ना करें, मां-बाप अपने बच्चों को अधिक से अधिक समय दें ।बच्चों के साथ प्रतिदिन संवाद कीजिए बच्चों की सुनिए, उसकी दुनिया को समझिए, आज बहुत से मां-बाप नौकरी पैसा हो गए हैं व्यस्तता के कारण बच्चों की ओर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं, श्री जोगलेकर ने कहा कि ऐसी व्यस्तता किस काम की जिससे आप अपने बूढ़े ऊपर की लाठी को ही समय नहीं दे सकते।उन्होंने मां बाप के एक्सपेक्टेशन के कारण बच्चों के तनाव ग्रस्त को प्रमुख कारण बताते हुए कहा कि आप अपने बच्चों को हमेशा विजेता देखने का सपना छोड़ दीजिए। उन्होंने कृष्ण और राम का उदाहरण देते हुए बताया कि कृष्णा भी असफल हुए थे इसीलिए उन्हें रन छोड़ कहा जाता है, राम को भी 14 साल वनवास काटना पड़ा था, तो हम तो साधारण इंसान हैं हमारे बच्चे हर बार नंबर वन पर नहीं आ सकते और यही दबाव बच्चों को आत्महत्या की ओर ले जाता है।
बच्चों को तनाव मुक्त करने के लिए खेल एक अच्छा साधन हो सकता है क्योंकि खेल में एक जीतता है- एक हारता है और विजेता को सबसे पहले बधाई हारने वाला खिलाड़ी देता है, इससे भी बच्चे को हार का अनुभव होगा और वह अपने जीवन की असफलता को मुस्कुराते हुए शहज ढंग से स्वीकार करेगा।
जिला प्रशासन और स्कूल शिक्षा विभाग के फेसबुक लाइव कार्यक्रम में कल सीएसपी कोतवाली श्री उमेश अग्रवाल और संध्या के समय श्री रामायण प्रसाद आदित्य, संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग का फेसबुक लाइव कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा

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