ज़िला कांग्रेस कमेटी( शहर/ग्रामीण ) द्वारा 02 अक्टूबर को दो महान स्वतन्त्रता सेनानी राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी एवं पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न स्व लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती मनाई गई,उनके आदमकद प्रतिमाओ पर माल्यार्पण किया गया।
इस अवसर पर संयोजक ज़फ़र अली, हरीश तिवारी ने कहा कि आजादी की लड़ाई बिखरा सा था जिसे गांधीजी ने एक सूत्र में पिरो कर ,सत्य,अहिंसा की मार्ग पर चल कर अंग्रेजो को देश छोड़ने के लिए मजबूर किया, गांधी जी ने मुख्य रूप से तीन आंदोलन किये असहयोग आंदोलन, दांडी यात्रा और भारत छोड़ो आंदोलन ,और देश 15 अगस्त 1947 को आज़ाद हुआ,आज
गांधी जी के दर्शन ,उनके विचार को आत्मसात करने की आवश्यकता है,जिस तरह वर्तमान परिवेश में घृणा,नफरत और भय का वातावरण बनाकर आज़ादी की मूल्यों को ही समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है,भारत के भविष्य के लिए सही नही है, निजी स्वार्थो के लिए युवाओ में नकारात्मक विचार भरा जा रहा है,जिससे देश शांति ,अमन और विकास की रास्ते से भटक कर साम्प्रदायिक विचारो की ओर बढ़ रहा है।
यही नफरती लोगो ने 30 जनवरी 1948 को गांधीजी पर गोली चलाई और गांधीजी सदा के लिए
” हे राम ” कहते हुए चिर निद्रा में चले गए।
लालबहादुर शास्त्री एक सच्चा ,ईमानदार देशभक्त थे,जिन्होंने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व किया,छोटे कदकाठी पर दृढ़ निश्चयी,अदम्य साहसी और भारत के आन,बान से समझौता न करने वाले नेता थे,उन्होंने 1965 के भारत -पाकिस्तान युद्ध मे पाकिस्तान को परास्त किया और भारतीय सेना लाहौर तक घुस गई थी ,ताशकन्द समझौता के तहत सेना को वापस आना पड़ा,और 11 जनवरी 1966 को लालबहादुर शास्त्री जी का रूस में निधन हो गया ,