स्थानीय डी.पी. विप्र महाविद्यालय में छत्तीसगढ़ शासन के आदेशानुसार हमारे महाविद्यालय में नई शिक्षा नीति 2020 पर एक प्रशिक्षण का कार्यक्रम रखा गया था। उक्त कार्यक्रम में डी.पी. विप्र महाविद्यालय के प्राध्यापकों एवं कर्मचारियों तथा शांति निकेतन के प्राध्यापकों एवं कर्मचारियों को डॉ. रमेश कुमार पाण्डेय एवं डॉ. कावेरी दाबड़कर के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। डॉ. कावेरी दाबड़कर ने अपने प्रशिक्षण में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन हेतु प्रशिक्षण दिया। आपने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुख्य प्रावधान को बताते हुए कहा कि यह पाठ्यक्रम 03 अथवा 04 वर्ष के लिए होगा।
समस्त पाठ्यक्रम क्रेडिट पर आधारित होने के साथ ही च्वाईस बेस्ड सिस्टम के अंतर्गत होंगे। 3/4 वर्ष पाठ्यक्रम को विद्यार्थी अधिकतम 07 वर्ष में पूर्ण कर सकता है। पाठ्यक्रम अवधि में विद्यार्थी बहुप्रवेश, बहुनिकास के अंतर्गत प्रथम वर्ष पूर्ण कर किसी कारणवश पढ़ाई छोड़ देता है तो उसे उस संकाय के अंतर्गत सर्टिफिकेट 02 वर्ष पूर्ण कर छोड़ने पर डिप्लोमा को उपाधि दी जावेगी। तथा तृतीय वर्ष पूर्ण करने पर स्नातक उपाधि प्राप्त कर पाठ्यक्रम को छोड़ सकता है। जिन विद्यार्थियों को विषय विशेषज्ञता प्राप्त करने या शोध करने की इच्छा हो वे पाठ्यक्रम को निरंतर चौथे वर्ष में जारी रख सकता है। एवं आर्नस/आर्नस रिसर्च की उपाधि चौथे वर्ष में प्राप्त कर सकता है।
प्राध्यापकों एवं कर्मचारियों को प्रशिक्षण देते हुए डॉ. रमेश पाण्डेय ने बताया कि सतत् मूल्यांकन में 30 प्रतिशत एवं अंत सेमेस्टर मे ं70 प्रतिशत अंको का प्रावधान रखा गया है विद्यार्थी को उत्तीर्ण होने हेतु 40 प्रतिशत अंक प्राप्त करना होगा। जेनेरिक इलेक्टीव के अंतर्गत कला, वाणिज्य एवं विज्ञान संकाय का विद्यार्थी अपने संकाय के अतिरिक्त अन्य संकाय के किसी एक विषय को अपनी इच्छानुसार ले सकता है। विद्यार्थी शिक्षा के आनलाईन प्लेट फार्म यथा स्वयं/मॉक में उपलब्ध पाठ्यक्रमों से भी विषय से संबंधित पाठ्यक्रम की पढ़ाई कर सकता है।
संस्था के प्राचार्य डॉ. (श्रीमती) अंजू शुक्ला ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के महत्व को बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास का भाव लिये गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा, कौसल विकास तथा रोजगारोन्मुखी शिक्षा की ओर उनमुक्त करना है। विद्यार्थियों में आलोचनात्मक सोच, डिजीटल साक्षरता के साथ रोजगार क्षमता एवं शारीरिक विकास को बढ़ावा देते हुए भविष्य के चुनौतियों के लिए तैयार करता है। इससे पूरे छत्तीसगढ़ में समरूप शिक्षा होने से वनांचल एवं दूरस्थ क्षेत्रों के विद्यार्थियों को शिक्षा के मुख्य धारा से जोड़ना इस शिक्षा प्रणाली का मूल उद्देश्य है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. एम.एस. तम्बोली तथा आभार प्रर्दशन प्रो. ए.श्रीराम ने किया। इस अवसर पर डॉ. मनीष तिवारी, डॉ. विमल पटेल, डॉ. संजय कुमार तिवारी, डॉ. सुषमा शर्मा डॉ. आभा तिवारी, डॉ. एम.एल. जायसवाल, डॉ. आशीष शर्मा, प्रो. निधीश चौबे, डॉ. किरण दुबे, प्रो. विश्वास विक्टर, डॉ. ऋचा हाण्डा, डॉ. अजय यादव, श्री शैलेन्द्र तिवारी, डॉ. शिखा पहारे, प्रो. तोषिमा मिश्रा, डॉ. सुरूचि मिश्रा, डॉ. ज्योति तिवारी, प्रो. रूपेन्द्र शर्मा, प्रो. यूपेश कुमार श्री सगराम चन्द्रवंशी, श्री तोरण यादव एवं शांति निकेतन महाविद्यालय के प्राध्यापकगण एवं कर्मचारीगण बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।