दादी जी आध्यात्मिक प्रकाश को फैलाने और मानव को महान बनाने का कार्य – बीके स्वाति दीदी
चेहरे पर कभी उदासी घृणा और नफरत के चिन्ह न आए। सदा खुश रहो और खुशी बांटते चलो जिससे वातावरण भी खुशनुमा हो जाता है। मुस्कुराता चेहरा हमारी खुशनसीबी को बताता है इसलिए मन और चेहरे से सदा खुश रहो। मन और मुख का मौन धारण करने से वायुमंडल शक्तिशाली बनता है। कोई भी कारण से आपसी मतभेद में नहीं आना। छोटा हो या बड़ा सभी का रिस्पेक्ट करो तथा हमें एक-दूसरे के विचारों को सम्मान देते हुए सभी की बातें सुनकर निर्णय लेना चाहिए। जीवन में सबसे बड़ा गुण संतुष्टता का होता है। हम ईश्वर की संतान है इसलिए हमें ऐसी संतुष्टता की खान बनना है जो हमें देखकर हर एक संतुष्ट हो जाए।
उक्त वक्तव्य प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की स्थानीय शाखा टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन द्वारा संस्था की पूर्व मुख्य प्रशासिका आदरणीय दादी प्रकाशमणि जी के 17वें स्मृति दिवस पर दादी जी की अनमोल शिक्षाएं एवं उनकी विशेषताएं सुनाते हुए सेवाकेंद्र संचालिका बीके स्वाति दीदी ने कहा। दीदी ने आगे कहा कि इस धरा पर अनेक महान आत्माओं का आविर्भाव हुआ है और होता रहेगा। परंतु दादीजी ऐसी महान आत्मा थी जिन्होंने अनेकों का जीवन बनाया, लाखों को प्रभु मिलन कराया और परमात्मा के महान कार्य का सफलता व कुशलता पूर्वक संचालन किया। दादी जी कुशल प्रशासक के साथ प्रेम की देवी थी। जो भी उनके सानिध्य में जाता था अपने सारे दुख-दर्द, थकान भूलकर खुशी में झूमने लगता था। दादी जी का प्यार देखकर सभी की आंखें प्यार से नम हो जाती थी। संस्था की पूर्व मुख्य प्रशासिका आदरणीय दादी प्रकाशमणि जी के नेतृत्व में संस्था के दिव्य इतिहास से अवगत कराते हुए बताया कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय आध्यात्मिक संगठन का सफल नेतृत्व करते हुए दादी प्रकाशमणि जी ने अपने जीवन काल में विश्वकल्याण का परचम फहराया ऐसी महान विभूति का जन्म सन 1922 में अविभाजित भारत में हुआ था। 14 वर्ष की अल्पायु में ही आपने अपना जीवन पवित्रता, शांति, प्रेम, सरलता, दिव्यता, नम्रता निरंकारीता जैसे विशेष गुणों को अपनाकर आध्यात्मिक प्रकाश को फैलाने और मानव को महान बनाने के कार्य में सफल कर दिया। दादी प्रकाशमणि नारी शक्ति का वह प्रदीप्तमान सितारा थी जिनके ज्ञान के प्रकाश की रोशनी आज भी आध्यात्मिक के पद पर चल रहे लाखों भाई बहनों की राह प्रशस्त कर रही है। आपका हृदय में इतनी गहराई और विशालता है, जो हर किसी को अनुभव और एहसास होता था मेरी दादी मां। बीके स्वाति दीदी ने बताया कि स्थानीय सेवाकेंद्र राजयोग भवन का उद्घाटन सन 1988 में दादीजी के कर कमलों से हुआ था। जो छत्तीसगढ़ में ब्रह्माकुमारीज का पहला सेवाकेंद्र था। दादी जी के आगमन पर पूरे नगर में विशाल शोभा यात्रा का आयोजन कर दादी जी का भव्य स्वागत किया गया था। संस्था के मुख्यालय आबू रोड स्थित शान्तिवन में दादी जी के समाधि स्थल का यादगार प्रकाश स्तंभ का प्रतिरूप बनाकर सभी भाई बहनों के द्वारा दादी जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में मनाए जा रहे दादी जी की पुण्यतिथि पर सुबह से ही योग साधना ब्रह्माकुमार भाई बहनों द्वारा किया गया।
ईश्वरीय सेवा में,
बीके स्वाति
राजयोग भवन, बिलासपुर

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