बिलासपुर। गुरू घासीदास विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) नैक से ए++ ग्रेड प्राप्त विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल के शोध, अनुसंधान एवं नवाचार के क्षेत्र में किये गये समर्पित प्रयासों के परिणामस्वरूप सात शिक्षकों को स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय की शीर्ष वैज्ञानिकों की 2% विश्व रैंकिंग में शामिल किया गया है। वैज्ञानिकों के शोध की गुणवत्ता और उनके रिफरेंस देने के आधार पर वैज्ञानिकों को इस रैंकिंग में शामिल किया जाता है।
माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने विश्व स्तर की 2% रैंकिंग में शामिल होने वाले शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि संस्थान के अकादमिक विकास का आंकलन शोध, अनुसंधान, नवाचार और पेटेंट के आधार पर किया जाता है। विश्व स्तर पर ऐसी रैंकिंग चयनित होने पर शोध के क्षेत्र में हमारे प्रयासों की प्रतिबद्धता प्रदर्शित होती है। विश्वविद्यालय के अकादमिक वातावरण को सकारात्मक एवं सृजनात्मक बनाने पर निरंतर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले वर्षों में इस केन्द्रीय विश्वविद्यालय के सभी विभाग अपने-अपने क्षेत्र में नित नये सोपानों को प्राप्त करेंगे।
विश्व के टॉप 2 प्रतिशत प्रभावशाली वैज्ञानिकों में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के फार्मेसी विभाग के 4 शिक्षकों ने जगह बनाई हैं। इसके अलावा रसायन विभाग से एक प्राध्यापक ने भी जगह बनाई है। वहीं कंप्यूटर साइंस एंड इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी विभाग के दो शिक्षकों ने सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों की सूची में जगह बनाई है।
*सूची में शामिल शिक्षक*
प्रो. गौतम कुमार पात्रा, रसायन विभाग, प्रो. दिलीप कुमार पाल, प्रो. दिनेश कुमार मिश्रा, डॉ. संजय कुमार भारती एवं डॉ. पार्था प्रतिम रॉय, फॉर्मेसी विभाग, डॉ. प्रबीर कुमार सेठी एवं डॉ. संतोष कुमार माझी, कंप्यूटर साइंस एंड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी विभाग।
*वैज्ञानिक चयन का आधार*
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा प्रकाशित विश्व के शीर्ष 2% वैज्ञानिक एक प्रतिष्ठित रैंकिंग है जो शोध क्षेत्रों के विद्वानों की पहचान करती है। स्कोपस डेटाबेस से प्राप्त यह रैंकिंग उन शोधकर्ताओं को मंच प्रदान करती है जिनके शोध का विभिन्न वैज्ञानिक विषयों में महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। यह रैंकिंग, मीट्रिक से गणना किए गए समग्र संकेतक (सी-स्कोर), एच-इंडेक्स, एचएम-इंडेक्स और गुणवत्ता पर आधारित है। शीर्ष वैज्ञानिकों को उनके सी-स्कोर के आधार पर रैंक किया जाता है, जो अपने शोध उप-क्षेत्र के शीर्ष 2% में शामिल होते हैं।