
धनतेरस एक पर्व स्वास्थ्य धन और समृद्धि का – पीतांबरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज
पीतांबरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि धनतेरस का पर्व भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह दीपावली के पांच दिवसीय महापर्व का पहला दिन होता है।धनतेरस का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, इसीलिए इसे धनत्रयोदशी भी कहते हैं।
इस वर्ष धनतेरस का पर्व 18 अक्टूबर, शनिवार को मनाया जाएगा।त्रयोदशी तिथि प्रारंभ 18 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 20 मिनट से त्रयोदशी तिथि समाप्त19 अक्टूबर, रविवार को दोपहर 1 बजकर 52 मिनट पर होगा।
धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त 18 अक्टूबर, शनिवार को प्रदोष काल में शुभ रहेगा। पूजा का समय (प्रदोष काल) शाम 5 बजकर 48 मिनट से रात 8 बजकर 20 मिनट तक
खरीदारी का शुभ समय 18 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से लेकर 19 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 24 मिनट तक। (18 अक्टूबर को प्रदोष काल में खरीदारी करना सर्वोत्तम माना जाता है) |
शास्त्रों के अनुसार, जिस दिन प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद का समय) में कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि लगती है, उसी दिन धनतेरस का त्योहार मनाना शास्त्रोचित माना जाता है। इस कारण, 18 अक्टूबर को ही धनतेरस की पूजा होगी।
भगवान धनवंतरी का अवतरण: पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। भगवान धनवंतरी को आयुर्वेद और चिकित्सा का देवता माना जाता है। उनका अवतरण त्रयोदशी तिथि को हुआ था, इसलिए यह दिन उनके जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है और स्वास्थ्य एवं आरोग्य के लिए उनकी पूजा की जाती है।
धन और समृद्धि: ‘धन’ शब्द का अर्थ केवल पैसा नहीं, बल्कि ‘स्वास्थ्य’ और ‘आरोग्य’ भी होता है, जिसे धनवंतरी देव से जोड़ा जाता है। साथ ही, इस दिन धन की वृद्धि और समृद्धि की कामना की जाती है। इस दिन नई धातु (सोना, चांदी, या नए बर्तन) खरीदने की परंपरा है, जिससे माना जाता है कि धन में तेरह गुना वृद्धि होती है।
धनतेरस के दिन मुख्य रूप से पूजा होती है:
भगवान धनवंतरी: आरोग्य और स्वास्थ्य के लिए इनकी विशेष पूजा की जाती है।
माता लक्ष्मी: धन और वैभव की देवी।
भगवान कुबेर: धन के देवता और उसके संरक्षक।
भगवान गणेश: बुद्धि, शुभता और मंगलकर्ता के रूप में।
धनतेरस और दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश के साथ धन के देवता कुबेर की पूजा करने का विशेष महत्व है, क्योंकि:
धन की प्राप्ति और उसका प्रबंधन: माता लक्ष्मी धन और ऐश्वर्य प्रदान करती हैं, जबकि भगवान कुबेर उस धन के संरक्षक और कोषाध्यक्ष माने जाते हैं। धनतेरस पर इन दोनों की एक साथ पूजा करने का अर्थ है कि आपको लक्ष्मी जी की कृपा से धन की प्राप्ति हो और कुबेर जी की कृपा से वह धन आपके पास स्थिर रहे और उसका सही प्रबंधन हो सके।
गणेश जी का महत्व: भगवान गणेश को बुद्धि और शुभ लाभ का दाता माना जाता है। लक्ष्मी जी को ‘रिद्धि-सिद्धि’ (शुभ लाभ) के साथ पूजने की परंपरा है, और गणेश जी रिद्धि-सिद्धि के स्वामी हैं। इसलिए, धन के साथ-साथ सही बुद्धि भी बनी रहे, ताकि धन का सदुपयोग हो, इस कारण लक्ष्मी जी और कुबेर जी के साथ गणेश जी की भी पूजा की जाती है।
भगवान धनवंतरी को हिंदू धर्म में आयुर्वेद के जनक और देवताओं के चिकित्सक (वैद्य) के रूप में पूजा जाता है।वे भगवान विष्णु के अंशावतार माने जाते हैं। उनका अवतरण समुद्र मंथन के दौरान चौदहवें रत्न के रूप में हुआ था, जब वे अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।उन्हें चार भुजाधारी भगवान विष्णु के समान ही माना जाता है, जिनके हाथों में शंख, चक्र, औषधियां और अमृत कलश विद्यमान होते हैं।धनतेरस पर उनकी पूजा का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य, दीर्घायु और रोग-मुक्ति की कामना करना होता है।
ब्रह्मचारी मधुसूदन पाण्डेय व्यवस्थापक
श्री पीतांबरा पीठ त्रिदेव मंदिर सुभाष चौक सरकंडा बिलासपुर छत्तीसगढ़

