बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व है दशहरा – शशिप्रभा

भीतर के रावण पर विजय का पर्व है दशहरा : शशिप्रभा दीदी*

कोटमीसुनार, दिनांक 03/10/2025 –
ब्रह्माकुमारीज़ प्रभु अनुराग भवन द्वारा आयोजित चैतन्य देवियों की झांकी दर्शन करने व गीता सार सुखद जीवन का आधार श्रवण करने हेतु श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही।
इस अवसर पर गीता सार प्रवक्ता ब्रह्माकुमारी शशिप्रभा दीदी ने विजयादशमी पर्व की ग्राम वासियों को शुभकामनाएं देते हुए इसका आध्यात्मिक रहस्य स्पष्ट करते हुए बताया कि असली रावण कोई बाहरी नहीं बल्कि मन के दस विकार – काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, द्वेष, आलस्य, छल और हठ – ही हैं। इन्हीं पर विजय प्राप्त करना ही सच्चे दशहरे का संदेश है।दीदी ने कहा कि नवरात्रि में सात्विक भोजन, सात्विक विचार और सात्विक दिनचर्या से आत्मा की ज्योति प्रज्वलित करने का अभ्यास करते है। यदि इनको जीवन का स्थायी हिस्सा बनाया जाए तो आत्मा रूपी दीपक अखंड रूप से प्रकाशित रह सकता है।
परमात्मा को स्मरण कर आत्म-अभिमानी स्थिति में रहने से ही मन का अंधकार मिटता है और सच्ची विजय प्राप्त होती है। दशहरे का वास्तविक अर्थ है बाहर के पुतलों को जलाने से पहले भीतर के विकारों का दहन करना। दीदी जी ग्राम वासियों को जानकारी देते हुए बताया कि गीता का सार सुखद जीवन का आधार शिविर अब आगामी दिनों में 3 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक संध्या 4:30 से 5:30 तक स्टेशन मोहल्ला मार्ग पर स्थित ब्रह्माकुमारीज भवन में श्रवण कराया जाएगाl

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