शिक्षा और शिक्षक,एक अटूट रिश्ता।


यह सच है कि एक बच्चा संस्कार, रिश्ता,परिवार का ज्ञान अपनी मां से पाता है परन्तु उसके लक्ष्य के निर्धारण में उसकी शिक्षक की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं।


प्राचीन काल से ले कर आधुनिक समय में विद्यार्थी को समुचित शिक्षा,अनुशासन, नैतिकता आदि का ज्ञान विद्यालय में उसके गुरु जन से ही मिलता है । उसे नियमों और कर्तव्यों की ढेर सारी जानकारी भी वहीं से प्राप्त होती हैं, जिसे वह अपने भविष्य के जीवन में संजो कर रखता है।


आज की शिक्षा डिजिटल लर्निंग, ऑन लाइन और प्रायोगिक ज्यादा हो चली है। आज छात्र सिर्फ किताबें पढ़ने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वह प्रतियोगिता में भी शामिल हो रहा है। आज संगीत, खेल कूद, एक्टिंग, फैशन,पत्रकारिता, फोटोग्राफी, विज्ञान, कला और वाणिज्य जैसे विषयों से आगे बढ़ गई हैं। आज एक सफल शिक्षक अभिभावकों से मेल जोल बढ़ा कर , सकारात्मक सोच का टॉनिक बच्चों में परोस रहा है।


शिक्षक आज बच्चों के रोल मॉडल बन गए हैं। वो उन्हें मानसिक, शारीरिक, सामाजिक, भावनात्मक दृष्टिकोण से अवगत कराने का कार्य भी शुरू कर चुके हैं।आज के शिक्षक बच्चों के आत्मविश्वास को दुगुनी तिगुनी रफ्तार देने का कार्य कर रहे हैं।
आज शिक्षक बच्चों के मित्र और सखा ज्यादा हैं। वो उनके कौशल की पहचान कर उनको सही आकर और निर्णय देने में सफल हो रहे हैं।आज भी शिक्षक की भूमिका समाज में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है क्योंकि वह बच्चों को भविष्य के लिए तैयार कर उनको एक जिम्मेदार नागरिक बनाने में अपने प्रयासों में कामयाब होता है।


आज के प्रतियोगी युग में एक शिक्षक ही अपने विद्यार्थी के सपनों को हक़ीक़त में बदलता है,
क्योंकि शिक्षक कहता है….
जहां आप कुछ नहीं कर सकते, वहां एक चीज जरूर करें
“कोशिश”
आप जिंदगी के इम्तिहान में कभी फैल नहीं होंगे।

सूरज प्रकाश
प्राचार्य व शिक्षाविद

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