मन को खुशी से रखने के लिए पांच सिद्धांत – ब्रह्माकुमार प्रो. ओंकार भाई
बिलासपुर। जो सभी की मदद करते है वही फरिश्ता कहलाते है। अपने आप से पूछना है हम कितनों के सहयोगी है। किसी की स्थूल मदद न कर सकें तो शुभभावना और शुभकामनाएं तो रख ही सकते है।
उक्त व्यक्तव्य प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय बिलासपुर की मुख्य शाखा ओल्ड बस स्टैंड स्थित राजयोग भवन में मुख्यालय माउंट आबू से पधारे बीके ओंकार भाई जी ने जीवन में खुश रहने एवं मन को खुश रखने के सिद्धांत बताते हुए कहा। भाईजी ने आगे कहा कि मन को खुशी से रखने के लिए पांच बातें ध्यान में रखना है। पहला इस ड्रामा में हर एक आत्मा का अपना-अपना पार्ट है। इसलिए यहां पर किसी बात की चिंता करने की आवश्यकता नहीं कि यह ऐसे क्यों करता है? इसे ऐसे नहीं ऐसे करना चाहिए… । उसका पार्ट ऐसा ही है। हर एक एक्टर की स्क्रिप्ट अपनी-अपनी होती है यदि कोई एक्टर अपनी स्क्रिप्ट छोड़कर दूसरे के स्क्रिप्ट पढ़ने लगे तो वह रोल ही खराब हो जाएगा। बेस्ट यह है कि हम अपनी स्क्रिप्ट पर फोकस करें उसे हम कुछ मॉडिफिकेशन कर सकते हैं परंतु दूसरे की स्क्रिप्ट को हम नहीं बदल सकते। वह वही कर रहा है जो ड्रामा में उसे मिला है। हमें अपना रोल बेस्ट करना है। हमें अपने पार्ट को इंजॉय करना है और दूसरे के पार्ट को साक्षी होकर के देखना है। रावण, राम की तरह मीठा बोलने लगे, उनकी तरह मुस्कुराने लगे तो रामलीला में मजा ही नहीं आएगा। हरेक के रोल को स्वीकार करें। हम जो चाहते हैं वह वैसा करें या संभव नहीं है। दूसरा इस ड्रामा का हर एक एक्टर का अपना अपना भाग्य भी है। हम किसी के भाग्य को ना बन सकते हैं न बिगाड़ सकते हैं। जो जिसके भाग्य में है वह उसे मिलना ही है। जो जिसके भाग्य में है वह कहीं से भी भाग कर आयेगा नहीं है तो भाग कर चला जाएगा। तीसरा यह ड्रामा बिल्कुल एक्यूरेट है, सत्य है, कल्याणकारी है। इसमें वही हो रहा है जो कल्प पहले हुआ था। हरेक का भाग्य निश्चित है। बनी बनाई बन रही कुछ नई नहीं… । चौथा इस ड्रामा में जो हो गया वह 5000 साल के बाद ही होगा उसेफुल स्टॉप लगाओ उसका चिंतन नहीं करू। पास्ट का कड़वापन हमारे वर्तमान को ना खराब कर दे इसका ध्यान रखना है। और लास्ट पांचवा इस ड्रामा में हम हीरो एक्टर हैं। हीरो पार्ट धारी है। हीरो एक्टर अर्थात सबसे भाग्यशाली। हीरो ऑल राउंडर होता है। उसे कोई भी रोल दे दे वह हर रोल बिल्कुल एक्यूरेट करता है। वह किसी में बादशाह का रोल करता है तो किसी में कुली का तो किसी में जोकर का। परंतु उसका रोल द बेस्ट होता है। लोग पैसे देकर भी उसके रोल को देखने जाते हैं। ऐसे नहीं कि वह बादशाह बना है तो ज्यादा पैसा मिलेगा कुली बना है तो कम मिलेगा। उसके फीस वही है उसका किरदार अच्छे से निभाया। उसी प्रकार हमें भी अपने हर किरदार को बहुत सुन्दरता से निभाना है जो सभी वन्स मोर बोले।
इससे पहले सेवाकेंद्र संचालिका बीके स्वाति दीदी ने प्रोफेसर ओंकार भाई जी का परिचय देते हुए बताया कि प्रोफेसर ओंकार चंद एक कुशल इंजीनियर, लेखक, संपादक, राजयोगी और विख्यात मोटिवेशनल स्पीकर है। ब्रह्माकुमारी संस्था के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय माउंट आबू में सेवारत है। संस्था द्वारा प्रकाशित मासिक इंग्लिश मैगजीन द वर्ल्ड रिन्यूअल के आप सह संपादक भी हैं। आपने 11 वर्ष तक पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी के अलग-अलग इंजीनियरिंग कॉलेज और एनआईटी कुरुक्षेत्र में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत रहे। अपने संपूर्ण समय व जीवन को मानव कल्याणार्थ सफल करने के लक्ष्य से चंडीगढ़ में 2014 में इंजीनियरिंग कॉलेज के एसोसिएटेड प्रोफेसर और हेड ऑफ डिपार्टमेंट के पद को त्याग कर अपना ब्रह्माकुमारी संस्था में समर्पित होकर अपनी सेवाएं देने लगे। आपने 2023 में नई दिल्ली में भारत के संसद भवन में मोटिवेशनल स्पीच दिया।कार्यक्रम में दिल्ली ओम शांति रिट्रीट सेंटर से बीके विजय भाई, रिटायर्ड जज राठी जी, लायन्स क्लब एम्बेस्डर डॉ कमल छाबड़ा जी, विनोद सिंह, रेलवे अधिकारी सुनील सोनकुसरे जी, अधिवक्ता नरेंद्र पांडेय जी आदि बड़ी संख्या में भाई-बहनें उपस्थित रहे।
ईश्वरीय सेवा में,
बीके स्वाति
राजयोग भवन, बिलासपुर

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