डॉ राम ओत्तलवार

डॉ राम ओत्तलवार जिला पशु चिकित्सालय में वरिष्ठम पशु चिकित्सक है एवं अतिरिक्त उप संचालक पद पर विगत 4–5 वर्षों से कार्य संभाल रहे हैं। इनके द्वार हर वक्त यह प्रयास किया जाता है कि जिला पशु चिकित्सालय में जो भी पशु पालक आये हैं वे उन्हें अच्छी से अच्छी सुविधाएं उपलब्ध कराये, निःशुल्क चिकित्सकिय परामर्श एवं औषधिया भी उपलब्ध करायें। इनके इसी प्रकार के अच्छे कृत्य से इनकी बढ़ती छवि से कुछ लोगों को परेशानी होती है और यहीं अशांत लोगों द्वारा इनके विरूद्ध षडयंत्र कर बदनाम करने का नाकाम प्रयास किया जाता है । इनके द्वारा पशु चिकित्सालय में जो भी पशु पालक आते हैं उनसे किसी भी प्रकार का बिना भेद भाव के पशुओ के प्रति मानवीय संवेदना रखते हुए कार्य किया जाता है, जिसके कारण यहां की ओपीडी 60-70 प्रति दिन रहती है। यहां पर सभी अधिकारी कर्मचारी अनुशासन में रहते हुए टीम भावना के साथ काम करते हैं और कोई भी चिकित्सकिय कार्य बिना टीम के संभव नहीं होता है। समय-समय पर यहां कि टीम द्वारा ऑपरेशन भी किया जाता है।
डॉ.राम ओत्तलवार का मानना है कि कोई भी इंसान तीन जगहों पर– अस्पताल , थाना और कचहरी में घूमने नहीं जाता है वरन वहां वो मजबूरी में जाता है , अत: इन्हे कम खर्च पर अधिक से अधिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जानि चाहिए।


विपुल शर्मा और अन्य अनजान लोगो द्वारे इन्हे हटाए जाने की मांग पर इनका कहना है कि जो भी अरोप इन पर लगाये जाते हैं वे बेबुनियाद होते हैं। शासकीय भूमि पर बेजा कबजा होने के कारण इन्हें बेदखल न होना पड़े इसलिया समय समय पर डॉ. राम ओतलवार को हटाने की मांग करते रहते हैं। बेजा कबजा होने के कारण तात्कालिक पशु चिकित्सक डॉ आर.एम.त्रिपाठी ने तहसीली में इनके विरुद्ध मुकद्दमा दर्ज किया था जो अभी तक लंबित है। डॉ त्रिपाठी भी जब इन्हें हटाने का प्रयास करते थे तब तब उन्हें भी प्रताड़ित होना पड़ा और बदनाम किया गया । डॉक्टर के पद कि गरीमा को धूमिल करने की अनैतिक कोशिश की जाती है। शासकीय चिकित्सालय में पदस्थ अधिकारी/कर्मचारियों को अपने एनजीओ सेंटर में बंधवा मजदूर की तरह कार्य करवाना चाहते हैं और जब इस प्रयास में सफलता नहीं प्राप्त होती है तो बदनामी के साथ-साथ मानसिक प्रताड़ना भी देने कि कोशिश की जाती है।


डॉ राम ओतलवार का इनसे एक ही सवाल है अगर इनकी संस्था पंजीकृत एनजीओ है तोइसका पंजीयन कब हुआ,इसके पदाधिकारी कौन कौन है, किस किस जगह से इन्हें इतना बड़ा स्ट्रक्चर खड़ा करने के लिए पैसे प्राप्त हुए और जो राशि प्राप्त हुई उसका ऑडिट कब कब हुआ। इसके बारे में इनके पुराने साथी ज्यादा जानते है और यह जग जाहिर भी है। इनके पुराने साथियों ने इनका साथ क्यों छोड़ा, यह भी पूछा जाना चाहिए । विपुल शर्मा द्वारा अपने अलावा किसी भी अन्य को शहर में और गौशाला खोलने नहीं दिया जाता है । शहर में ऐसे कई लोग हैं जो बिना किसी शासकीय अनुदान या दान दाताओं से बिना दान प्राप्त कर पशुओं (गौ माता) की सेवा कर रहे हैं, जो कि एक सच्ची सेवा है। इनके एनजीओ को जो फंड मिलता है उससे ये एक शेड का निर्माण करा कर इलाज हेतु एक प्राइवेट डॉक्टर व पैरावेट्स को रख सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करते, इससे इनके मकसद का साफ साफ खुलासा हो रहा है ।
ऑनलाइन 1962 की सेवा प्रारंभ होने से इनके गोरख धंधे पर भी बुरा असर प्रतीत होता है।।
आज एक सब से सरल फॉर्मूला लोगों को मिला है, अगर आपको कहीं जमीन चाहिए हो तो वहां मंदिर बना लो और मंदिर न बना सके तो उस स्थान पर गौशाला बना लो, तो वो जमीन पर आपका अधिकार हो जाएगा।
मुझे मेरा मूल्य मालूम है इसलिया किसी के द्वारा की गई प्रशंसा या नींदा से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है, शांत मन ही दुनिया का सबसे बड़ा धन होता है । उत्तम से सर्वोत्तम वही हुआ जिस ने अपनी आलोचनाओं को धैर्य पूर्वक सुना और सहा है ।

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *