भारतीय रेल के लोको पायलट हमारे देश के रेल परिवहन प्रणाली की रीढ़ हैं। उनकी सुरक्षा, सुविधा और कार्य संतुलन को बेहतर बनाने के लिए पिछले दस वर्षों में अनेक ठोस कदम उठाए गए हैं।

मुख्य सुधार बिंदु:

1. रनिंग रूम में सुधार:
2014 से पूर्व एक भी रनिंग रूम वातानुकूलित नहीं था। अब सभी 558 रनिंग रूम को पूरी तरह एयर-कंडीशन्ड किया जा चुका है।

योग/ध्यान कक्ष, रीडिंग रूम, आरओ वाटर फिल्टर, सब्सिडाइज़्ड भोजन और फुट मसाजर जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।

2. लोको कैबिन और इंजन सुधार:
2014 से पहले एक भी लोको केबिन वातानुकूलित नहीं था। अब 7,000 से अधिक लोकोमोटिव्स में एयर-कंडीशन्ड कैब उपलब्ध हैं।

एर्गोनोमिक सीटें, विजिलेंस कंट्रोल डिवाइस, फॉग-सेफ डिवाइस और GPS आधारित उपकरण लगाए गए हैं।

3. शौचालय की सुविधा:
नए इंजन डिज़ाइनों में शौचालय की व्यवस्था की गई है। पुराने इंजन में भी रेट्रोफिटिंग द्वारा यह सुविधा जोड़ी जा रही है।

4. कार्य समय और विश्राम:
कार्य अवधि में कमी कर “साइन ऑन से साइन ऑफ” समय 10 घंटे से घटाकर 9 घंटे कर दिया गया है।

52 घंटे प्रति सप्ताह की सीमा सुनिश्चित की गई है (Railway Act, 1989 व HOER नियमों के अनुसार)।

5. तकनीकी प्रगति और सुरक्षा:
‘चालक दल’ मोबाइल ऐप से लोको पायलट अब अपनी ड्यूटी, लॉगबुक, तकनीकी निर्देश आदि आसानी से देख सकते हैं।

फॉग-सेफ्टी, ड्राइवर अलर्ट सिस्टम और इंप्रूव्ड ब्रेकिंग से संरक्षा मानकों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

6. वेतन और भत्ते:
लोको पायलटों को ₹70,000 से ₹1,30,000 तक मासिक वेतन (अनुभव के आधार पर)।

रनिंग अलाउंस, नाइट ड्यूटी भत्ता, मेडिकल सुविधा, पेंशन, मुफ्त यात्रा जैसे अनेक लाभ दिए जाते हैं।

7. भर्ती में तेजी:
2014-2024 के बीच 64,000+ लोको पायलटों की भर्ती की गई। एक वार्षिक भर्ती कैलेंडर प्रणाली लागू की गई है।

भारतीय रेल ने लोको पायलटों की भलाई और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। ये सुधार न केवल उनकी कार्य संतुष्टि और कुशलता को बढ़ाते हैं, बल्कि पूरे रेलवे नेटवर्क की संरक्षा और विश्वसनीयता को भी सुनिश्चित करते हैं।


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