बिलासपुर। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (केंद्रीय विश्वविद्यालय) नैक से ए++ ग्रेड प्राप्त विश्वविद्यालय की सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ द्वारा आयोजित एवं मौलाना अब्दुल कलाम आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ एशियन स्टडीज (मकाइस) कोलकाता द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन दिनांक 19-20 अप्रैल को किया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की थीम रीसेटिंग इंडियाज एंगेजमेंट इन सेंट्रल एशिया- फ्राम सिम्बोल टू सब्सटेंस है।
दिनांक 19 अप्रैल, 2025 को आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह के मुख्य संरक्षक एवं विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा कि मध्य एशिया सहित वैश्विक पटल पर भारत की प्रासंगिकता को नकारा नहीं जा सकता। भारत दुनिया की सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था के साथ ही सैन्य एवं बौद्धिक शक्ति से संपन्न राष्ट्र है, जो वैश्विक शांति एवं मानवता के कल्याण का नेतृत्व करने के लिए तैयार है। वर्तमान सामरिक एवं आर्थिक संघर्ष के वैश्विक परिदृश्य में भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंध एवं भारतीय मूल्य समाधान कारक सिद्ध होंगे।
विशिष्ट अतिथि के रूप में यूरेशियन नेशनल यूनिवर्सिटी, कजाकिस्तान की पूर्व वाइस रेक्टर प्रो. एकबोटा झोलडासबेकोवा ने कहा कि भारत के साथ कजाकिस्तान का ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव सदियों पुराना है। भारत बहुभाषी देश होने के साथ ही सांस्कृतिक विविधताओं से संपन्न देश है। इस अतंरराष्ट्रीय संगोष्ठी के माध्यम से मध्य एशिया तथा भारत के बीच में अकादमिक संबंध मजबूत होंगे। साथ ही एक-दूसरे की संस्कृति और सामाजिक तानेबाने को समझने का अवसर प्राप्त होगा।
बीज वक्तव्य जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय अध्ययन संकाय के पूर्व अधिष्ठाता प्रो. अश्विनी महापात्रा ने कहा कि विचारों की विविधता से ही बौद्धिक विकास होता है। अंतरराष्ट्रीय संबंधों में कूटनीतिक प्रयासों में सिम्बोलिज्म का भी महत्व होता है, जिसका यथोचित प्रयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व के अनेक देशों में लोकतंत्र की स्थापना हुई तथा अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बहुत परिवर्तन आया जिसके अनुसार भारत को अपनी भूमिका प्रभावी रूप से निर्धारित करनी चाहिए।
मौलाना अब्दुल कलाम आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ एशियन स्टडीज (मकाइस) कोलकाता के निदेशक प्रो. स्वरूप प्रसाद घोष ने कहा कि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के साथ रामायण सर्किट और बौद्ध सर्किट पर कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना में शिक्षक एवं शोधार्थियों का एक्सचेंज प्रोग्राम भी लागू है जिससे इस योजना का बल मिलेगा। उन्होंने कहा कि एशिया में प्रतिस्पर्धा के बजाये सकारात्मक सहयोग ही एकमात्र विकल्प है।


इससे पूर्व मंचस्थ अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर मां सरस्वती, बाबा गुरु घासीदास एवं छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किये। नन्हें पौधों से अतिथियों का स्वागत किया गया। विशिष्ट अतिथियों का सम्मान शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मान किया गया। विश्वविद्यालय के तरंग बैंड द्वारा सरस्वती वंदना और कुलगीत प्रस्तुत किया। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक प्रो. रामकृष्णन प्रधान ने संगोष्ठी के विषय का प्रवर्तन किया। आयोजन सचिव डॉ. राजकुमार नागवंशी तथा डॉ. अमित कुमार गुप्ता रहे।
3 देशों के 5 विषय विशेषज्ञ शामिल हुए
प्रो. एकबोटा झोलडासबेकोवा पूर्व वाइस रेक्टर यूरेशियन नेशनल यूनिवर्सिटी, कजाकिस्तान, प्रो. बहादुरजोन फरगना स्टेट यूनिवर्सिटी उजबेकिस्तान, प्रो. इल्यास सिद्कोव फरगना स्टेट यूनिवर्सिटी उजबेकिस्तान, डॉ. नोरमा अलियास सह-प्राध्यापक टेकनोलोजी यूनिवर्सिटी मलेशिया एवं बोहारी माहात मलेशिया शामिल हुए।
इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की स्मारिका का विमोचन हुआ। इस संगोष्ठी में देश-विदेश के 56 प्रतिभागी शामिल हुए। मंचस्थ अतिथियों का शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मान किया गया। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर ए.एस. रणदिवे ने धन्यवाद एवं कार्यक्रम का संचालन डॉ. सांत्वना पाण्डेय ने किया। इस अवसर पर विभिन्न विद्यापीठों के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्षगण, शिक्षकगण एवं अधिकारीगण तथा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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