बिलासपुर,चुनाव आयोग द्वारा नगरीय निकाय चुनाव की घोषणा और आदर्श आचार संहिता प्रभावशील होने के साथ ही अब प्रत्याशी के नामों की घोषणा को लेकर दावेदारो और आमजन की निगाहें राजनैतिक दलों की ओर हो गई है। पूर्व मंत्री और बिलासपुर विधायक अमर अग्रवाल पिछले कई दिनों से वार्डों में जाकर बैठक ले रहे हैं और प्रत्याशियों के मुद्दे पर कार्यकर्ताओं से राय मशवरा कर रहे हैं । बिलासपुर नगर निगम के 70 वार्डों में से 38 वार्ड बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र में आते हैं और विधायक अमर अग्रवाल सभी 38 वार्डों में कार्यकर्ताओं से मंत्रणा कर जीत सकने वाले उम्मीदवारों के नामों पर सुझाव भी ले चुके है। श्री अग्रवाल ने कार्यकर्ताओं से यह भी आव्हान किया कि प्रत्याशी कोई भी हो हमे साथ मिलकर भाजपा को जीताने है। नगर निगम में भाजपा महापौर के साथ ही ज्यादा से ज्यादा पार्षदों को जीता कर लाना है।

भाजपा के 65 प्रत्याशियों फाइनल, महापौर के लिए पांच नाम

भारतीय जनता पार्टी ने बिलासपुर नगर निगम के 70 वार्डों में से 65 वार्डों के पार्षद प्रत्याशी का नाम फाइनल कर लिया है।जानकारी है कि पार्षद प्रत्याशियों के नामों ही जारी कर दी जाएगी। वही लिए पांच नामों का पैनल बना की सूची जल्द महापौर पद के है।जो नाम पैनल में है उसमें वरिष्ठ पार्षद श्याम साहू ,बंधु मौर्य, पूर्व प्रभारी महापौर विनोद सोनी, महिला मोर्चा की जय श्री चौकसे और संघ की ओर से सोमनाथ यादव का नाम शामिल है । बैठकों में जो बाते सामने आई उसके मुताबिक प्रत्येक वार्ड में कई दावेदार है। जो वार्ड आरक्षण से प्रभावित नहीं हुए है और जहां भाजपा के पार्षद हैं उन वार्डों में भी दावेदार खुलकर सामने आ रहे है जिससे निवृतमान पार्षदों को टिकट काटने की चिंता हो चली है। यहां तक कि लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से भाजपा में आए कार्यकर्ता भी पार्षद की टिकट मांग रहे है। पंडित मुन्नूलाल शुक्ला वार्ड से तो 20 से भी अधिक दावेदार है। वही सरकंडा क्षेत्र में भाजपा पार्षद के वार्ड से उनके ही सजातीय व्यापारी ने बेटे या फिर बहु को पार्षद के लिए दावेदारी कर दी है। राज्य में भाजपा की सरकार बनने के कारण नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा कार्यकर्ताओं को भी चुनाव लड़ने की इच्छा जागृत हो गई है । भाजपा के कई ऐसे व पार्षद जो कई बार से अपने वार्ड का प्रतिनिधित्व कर रहे है उनके बारे में कार्यकर्ताओं की काफी नाराजगी भी है। खासकर ऐसे पार्षदों की जो निगम में वर्षों से अपने भाई बेटे के नाम पर ठेकेदारी करके अनुपात हीन संपत्ति अर्जित कर लिए है लेकिन कार्यकर्ताओं की वे परवाह नहीं करते। ऐसे कमाऊ कई पार्षद महापौर की भी दावेदारी कर रहे है। कुछ पार्षद तो अपने कार्यकर्ताओं पर दबाव डाल कर निर्देश देते रहे कि वार्ड में जब शहर विधायक बैठक लेने आएं तो उनके समक्ष पार्षद टिकट के लिए उसका ही नाम लेना है। जबकि कार्यकर्ता अंदर ही अंदर चाह रहे है कि ऐसे जेब भरो वाले पार्षदों को अब आराम करने देना चाहिए और दूसरे कार्यकर्ताओं को मौका मिलना चाहिए ।

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