
नैतिक मूल्य ही जीवन का आधार स्तंभ – बीके स्वाति
30 अगस्त 2024 बिलासपुर। जिस प्रकार नदी का मूल्य पानी से होता है, फूलों का मूल्य खुशबू से होता है उसी प्रकार मनुष्य का मूल्य उसके नैतिक गुणों से होता है। आज दुनिया में हर चीज का मूल्य है हम स्वयं से पूछे स्वयं का मूल्य क्या है? जैसे कच्चा माल से ज्यादा मूल्य उसके उत्पादन का होता है। वैसे हमें भी जीवन तो मिला है लेकिन जीवन नैतिक मूल्यों से मूल्यवान बनता है। और जीवन बनाने का समय है अभी का विद्यार्थी जीवन
उक्त वक्तव्य प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय बिलासपुर की मुख्य शाखा टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन सेवाकेंद्र संचालिका बीके स्वाति दीदी ने अटल बिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर द्वारा आयोजित पंचम दीक्षांत सप्ताहिक समारोह के अंतर्गत एक दिवसीय व्याख्यान “व्यापार में नैतिकता” विषय पर कहा। दीदी ने आगे बताया की स्टूडेंट लाइफ में अपने एक हाथ से अपनी गुरु का हाथ पकड़ना अर्थात साथ हो दूसरे हाथ से किताब। टीचर का साथ और किताब पढ़ने के अभ्यासी रहना चाहिए न केवल अपने सेलेबर्स लेकिन जो आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करने वाली गीता, रामायण, बाइबल, ग्रंथ जिसे भी मानते हैं उससे ही सही दिशा मिलेगी और तीसरा मेडिटेशन। मेडिटेशन का अर्थ है मन में अच्छी विचार करना । हम जैसा सोचते हैं वैसा हम बन जाते हैं सुबह उठकर श्रेष्ठ विचार करने से हमारा जीवन भी श्रेष्ठ बन जायेगा। परिस्थितियां भी हमारे अनुकूल बदल जाती है। गुरु, किताब व मेडिटेशन इन चीजें को अपने जीवन का सिद्धांत बना ले तो जीवन में कभी भी न डरेंगे, न घबराएंगे और न कन्फ्यूज होंगे। नैतिक मूल्य ही जीवन का आधार स्तंभ है। विद्यार्थी जीवन में जो मूल्य को धारण करेंगे भी जीवन पर्यन्त काम आएगा। जिस प्रकार पहाड़ मजबूत होता है उसका कारण पहाड़ जितना ऊपर होता है उतना ही वह दुगना, तिगुना नीचे भी होता है जिसका फाउंडेशन मजबूत है उसको कोई हिला नही पाता। नैतिक मूल्य ही हमारे जीवन का आधार है। जीवन में यदि कभी कुछ समझ में ना आए तो राजयोग के अभ्यास के द्वारा विवेक शक्ति, परखने और निर्णय करने की शक्ति जागृत होती है, जो जीवन में किसी भी प्रकार की दुविधा से हमें निकालने में सहयोग प्रदान करती है। दीदी ने आगे बताया की व्यापार किया जाता है लाभ कमाने के लिए यदि लाभ को उल्टा कर दे तो भला हो जाता है। अगर हम किसी का भला करेंगे तो हमारा बुरा नहीं होगा। जैसा बीज हम बोयेंगे वैसा ही फल हमे मिलेगा। क्रिएटिविटी के द्वारा सेल्फ को मोटिवेट करना सिखाया और कहां जिस प्रकार प्रकृति तथा मानव द्वारा निर्मित हर वस्तु हमें हर पल कुछ ना कुछ देती है, वैसे हमें भी अपने जीवन को ऐसा बनाना है जो हम दूसरो को न कुछ न कुछ दे सके। एक दूसरे को दुआएं दे।
कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि लायंस क्लब एम्बेसडर कमल छाबड़ा जी ने कहा कि व्यापार में नैतिकता को हमेशा मुनाफे और गुणवत्ता के तराजू में तौला जा रहा है। व्यवसायिक नैतिकता का अर्थ है कानून और नियमो के अनुसार जिम्मेवारी से, निष्पक्षता से और पारदर्शिता से काम करना तथा स्वयं को जवाबदेह बनाये रखने के लिए संस्कृति और शासन का निर्माण करना। व्यावसाय में नैतिकता से आपके बिजनेस की प्रतिष्ठा बढ़ती जाती है। नैतिकता से कर्मचारी अपने काम पर गर्व करते हैं और उत्पादकता बढ़ती है। रतन टाटा आदि का उदाहरण देकर विद्यार्थियों को व्यापार में नैतिकता के बारे में बताया। स्वदेशी वस्तुओं को अपना कर अपने देश को सशक्त बनाने पर जोर दिया। विदेशी वस्तुओं के प्रति हमारी मौन स्वीकृति भारतीय सिद्धांतों को खत्म करती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए.डी.एन वजयपेयी जी ने विद्यार्थियों को कहा कि यदि स्वयं की महत्वाकांक्षा या इच्छाएं स्वयं की क्षमता से ज्यादा है तो एक दिन स्वयं अनैतिक हो जाएंगे। जितनी स्वयं की महत्वाकांक्षा हैं उतनी ही स्वयं की क्षमता होनी चाहिए। स्वयं की क्षमता बढ़ाने के लिए योगासन, प्राणायाम, टेक्नोलॉजी को बनाएं, पढ़े लिखे और जितना हम प्रकृति के निकट जायेंगे, अपनी प्रकृति हो या कुदरती प्रकृति हो उसके अनुसार चलेंगे तो उतना ही प्राकृतिक होते जाएंगे। प्राकृतिक होने का अर्थ है नैतिकता। अप्राकृतिक अर्थात उपभोक्तावादी, सुविधावादी होंगे। आधुनिक संसाधनों पर निर्भर होंगे, उतना आप अनैतिक होते जाएंगे।
कार्यक्रम के समनवयक वाणिज्य विभाग अध्यक्ष डॉ. पूजा पांडेय जी ने अतिथियों का शब्दों के द्वारा स्वागत किया।
डॉ. सुमोना भट्टाचार्य जी कार्यक्रम अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना ने कहा कि नैतिकता सरकार से नहीं संस्कार से आती है। यदि हम किसी का नुकसान करते है तो वह चक्र घूम कर हमें ही प्रभावित करता है।
कार्यक्रम अधिकारी एवम् राष्ट्रीय सेवा योजना के डॉ. गौरव साहू जी ने आभार व्यक्त किया।
अटल बिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एडीएन बाजपेयी जी ने बीके स्वाति दीदी एवं कमल छाबड़ा भाई का शाल, मोमेंटो एवं श्रीफल देकर सम्मान किया। विश्वविद्यालय के प्राध्यापक एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
ईश्वरीय सेवा में
बीके स्वाति
राजयोग भवन, बिलासपुर
