पत्रकार रवि तिवारी की रिपोर्ट

महिला बाल विकास विभाग में आंगनबाड़ी के निरीक्षण करने  के लिए सुपरवाइजर का पद सृजित है ,इसके तहत सुपरवाइजर अपने क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंदो में जाकर बच्चों को दिया जाने वाला नाश्ता ,भोजन की स्थिति और बच्चों की उपस्थिति की जांच करती है, यह उनका प्रमुख कार्य है अब नए निर्देश के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को नाश्ता भोजन और बच्चों की उपस्थिति सारा कुछ ऑनलाइन करने के निर्देश दिए जा रहे हैं ,

इससे सुपरवाइजर के पद को खतरे की आशंका है। बताया जा रहा है कि यह सब काम सुपरवाइजर का होता है जो फील्ड में जाकर सफल आंगनवाड़ी संचालन की जांच करती है, जब सारा काम ऑनलाइन शुरू  हो रहा है तो सुपरवाइजर के पद का कोई महत्व नहीं रह जाता, ऐसी आशंका है कि प्रेरक की तरह  इस पद को ही समाप्त कर दिया जाए ।क्योंकि बताया जा रहा है कि जिस प्रकार प्रेरक और मितानिन का पद था तो निर्देश के अनुसार सारा काम मितानिनी ऑनलाइन करने लगी थी उसका निरीक्षण का काम प्रेरक करती थी,

ऑनलाइन सिस्टम आने से मितानिन सारा कुछ डिजिटल करने लगी जिससे प्रेरक का पद ही समाप्त कर दिया गया। उसी के तहत हो सकता है ऐसी आशंका बताई जा रही है कि आंगनबाड़ी सुपरवाइजर  जब निरीक्षण का कार्य ही नहीं रहेगा  यह सारा काम कार्यकर्ताएं ऑनलाइन करेंगे तो उसके पद का कोई प्रासंगिकता नहीं रह जाएगा। इससे आंगनवाड़ी सुपरवाइजर वर्ग में हड़कंप मचा हुआ है ,वैसे भी सरकार के निर्देश है कि सारा कुछ डिजिटल रूप से किया जाए जो की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता निचले स्तर पर मैदानी कार्य कर रही है वैसे भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का वेतन तो कलेक्टर दर से भी कम है क्योंकि केंद्र सरकार उन्हें मात्र 4500 हजार रुपए ही देती है,

इससे उनका भरण पोषण ही नहीं हो पता वे लंबे समय से  वेतन बढ़ाने मांग भी कर रही है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की ड्यूटी अन्य विभागों में भी लगाई जाती है जिसके कारण वह समय से कैसे फोटो दे पाएंगे , अपनी लंबी तमाम मांगों के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ पिछले कई सालों से केंद्र और राज्य सरकारों के समक्ष मांग रख रही है, उसके बावजूद भी सरकार उनकी मांगों को अनसुना कर रही है ।हालांकि कहा जा रहा है कि पिछली सरकार ने उनकी वेतन में वृद्धि की है इस सरकार से भी लगभग डेढ़ लाख महिलाओं को यह उम्मीद है कि विष्णु देव साय सरकार उनके काम जिम्मेदारी ऑनलाइन स्थिति को देखते हुए उनके वेतन में भी भूपेश बघेल सरकार की तरह वृद्धि कर करेंगे, उन्होंने इस रक्षाबंधन पर विष्णु देव साय सरकार से वेतन वृद्धि का वचन मांगा है।ध्यान देने वाली बात हैं सुपरवाइजर को मोटी तनख्वाह दी जाती है, जब उनका काम ही नहीं रहेगा तो ऐसी अटकलें हैं कि उनका पद समाप्त करके वह वेतन कार्यकर्ताओं को दिया जाएगा जिससे उनके कार्य की गुणवत्ता में भी सुधार होगा और उनकी मांग भी पूरी होगी आपको बता दे कि प्रदेश भर में एक लाख से अधिक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिकाएं कार्य कर रही है राज्य सरकार के लिए यह एक सशक्त वोटर भी है, अब देखना होगा कि सारा काम जब कार्यकर्ता ही ऑनलाइन कर रही है तो सुपरवाइजर का काम क्या बचता है या सरकार उन्हें बैठे बैठे  ही मोटी तनख्वाह देती रहेगी।  सुपरवाइजर का काम भी अब लगभग आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ऑनलाइन कर रही है इससे अब सुपरवाइजर के निरीक्षण का कोई औचित्य ही नहीं बचता है।

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