एनएसयूआई जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह ने फिर एक बार महर्षि यूनिवर्सिटी के फर्जीवाड़ा और अनियमितता की पोल छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के सामने खोली।
दरअसल बात इस प्रकार है कि बिलासपुर एनएसयूआई जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह द्वारा बिलासपुर के मंगला में संचालित महर्षि यूनिवर्सिटी तथा महर्षि शिक्षा संस्थान (शिक्षा विभाग) के फर्जीवाड़ा और अनियमितताओं की शिकायत पिछले सत्र से की जा रही है,जिसमें रंजीत सिंह द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय,शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार,यूजीसी,उच्च शिक्षा छत्तीसगढ़ शासन,छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग तथा बिलासपुर में कलेक्टर कार्यालय तथा जिला शिक्षा अधिकारी और अपार संचालक उच्च शिक्षा को अनेकों ज्ञापन धरना प्रदर्शन आंदोलनों के माध्यम से महर्षि यूनिवर्सिटी के फर्जीवाड़ा को समस्त दस्तावेज और साक्ष्य के साथ उजागर करने का काम किया गया है। विगत वर्ष में छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा महर्षि यूनिवर्सिटी के निरीक्षण के लिए बनाई गई समिति का घेराव भी रंजीत सिंह द्वारा किया जा चुका है उसी प्रकार आज पुनः जब इस सत्र में महर्षि यूनिवर्सिटी के निरीक्षण के लिए छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा तीन सदस्यीय समिति बनाई गई तथा निरीक्षण के दिन आज दिनांक 27/12/2024 शुक्रवार अपराह्न 12 बजे सीजीपीयूआरसी के पत्र क्रमांक 10485/शिकायत/185/2024/21274 रायपुर के माध्यम से महर्षि यूनिवर्सिटी परिसर में बुलाया गया था। जहां एनएसयूआई जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह अपने साथियों के साथ महर्षि यूनिवर्सिटी पहुंचे यूनिवर्सिटी पहुंचकर रंजीत सिंह ने निरीक्षण समिति के सदस्यों को 11 बिन्दुओं में अपना ज्ञापन सौंपा जिसमें मुख्य रूप से (1) महर्षि शिक्षा संस्थान के भूमि भवन के दस्तावेज जिसमें एक ही भूमि भवन में महर्षि यूनिवर्सिटी तथा महर्षि शिक्षा संस्थान चलाया जा रहा है। (2) कूटरचित दस्तावेजों और अपूर्ण अनुभव के साथ कुलपति डॉ टी पी एस कांद्रा की नियुक्ति। (3) महर्षि यूनिवर्सिटी/महर्षि शिक्षा संस्थान (शिक्षा विभाग) द्वारा सीजीपीयूआरसी को फर्जी प्राध्यापकों की सूची प्रदान करने। (4) सीजीपीयूआरसी के पिछले सत्र 2023 तथा 2024 के जांच प्रतिवेदन की कमियों को दूर नहीं किए जाने की शिकायत। (5) पूर्व में 29/01/2024 को सीजीपीयूआरसी के गलत जांच प्रतिवेदन बनाया जाने पर जांच समिति के सदस्यों पर जांच करने। (6) महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नॉलॉजी के छात्रवृत्ति पर लगाई गई रोक। (7) उच्च न्यायालय के निर्णय। (8) महर्षि यूनिवर्सिटी द्वारा प्राध्यापकों को प्रताड़ित कर निकालना। (9) पीएचडी पाठ्यक्रम में भारी फर्जीवाड़ा तथा अनियमितता किए जाने। (10) महर्षि यूनिवर्सिटी में खुलेआम नकल कराए जाने। (11) एक ही भूमि भवन प्राध्यापकों के दस्तावेज के आधार पर दिन संस्था महर्षि यूनिवर्सिटी तथा महर्षि शिक्षा संस्थान (शिक्षा विभाग) संचालित करने की शिकायत पर जांच।रंजीत सिंह द्वारा सभी बिंदुओं के दस्तावेज सहित साक्ष्य प्रस्तुत किए गए तथा बताया गया कि पूर्व में अनेकों जांच समिति महर्षि यूनिवर्सिटी के खिलाफ बनाई जा चुकी हैं परन्तु केवल आदिम जाति कल्याण विभाग कलेक्ट्रेट द्वारा ही कार्यवाही करते हुए महर्षि यूनिवर्सिटी के छात्रवृत्ति सुविधा पर रोक लगा दिया गया परन्तु इससे भी केवल छात्र छात्राओं को हानि हुई परंतु इसके जिम्मेदार अधिकारियों पर किसी प्रकार की कोई भी कार्यवाही नहीं की गई। इसके अलावा और अन्य किसी भी जांच समिति द्वारा कोई भी निर्णयात्मक कार्यवाही नहीं की गई है इस कारण सीजीपीयूआरसी के निरीक्षण समिति से निष्पक्ष जांच और उचित कार्रवाई की मांग की। जिस पर जांच समिति के सदस्य डॉ सुशील त्रिवेदी,डॉ ए के श्रीवास्तव, डॉ बी एल गोयल द्वारा रंजीत सिंह द्वारा दिए सभी दस्तावेजों और साक्ष्य का परीक्षण कर नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही किए जाने की बात कही। रंजीत सिंह ने कहा कि अब देखना यह है कि इस सत्र में सीजीपीयूआरसी के निरीक्षण समिति के सदस्य किस प्रकार से जांच करते हैं? क्या इस सत्र में छात्रों को न्याय मिलेगा और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही होगा? क्या इस सत्र में ऐसे भ्रष्ट कुलपति तथा कुलसचिव पर कानूनी कार्यवाही की जाएगी ? क्या महर्षि यूनिवर्सिटी में शिक्षा का व्यापार बंद होगा या इस बार भी बाकी वर्षों की भांति निरीक्षण के नाम पर केवल चंद कागजों में ही शिकायतों को दबाकर जांच प्रभावित कर गलत जांच प्रतिवेदन बनाया जाएगा।जांच समिति के समक्ष रंजीत सिंह के साथ प्रदेश सचिव लोकेश नायक,जिला उपाध्यक्ष सुमित शुक्ला,जिला महासचिव प्रवीण साहू, महासचिव चंद्रप्रकाश साहू,विपिन साहू,अशोक पटेल,अंश बाजपाई,उमेश पटेल,अमन राठौर,प्रवीण मनहर आदि एनएसयूआई के पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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