
शिक्षकों की पदस्थापना से स्कूलों में लौटी रौनक
पालकों में उत्साह, बच्चों में नया उत्साह
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और स्कूलों में शिक्षक उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्रदेश भर में चलाए गए युक्तियुक्तकरण अभियान के सकारात्मक परिणाम अब स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगे हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में क्रियान्वित इस अभियान से दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में शिक्षा के क्षेत्र में नई उम्मीद जगी है।दूरस्थ अंचलों में शिक्षक विहीन और एकल शिक्षकीय शाला होने से बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा था। वह अब युक्तियुक्तकरण से दूर होने जा रहा है। जिले के 5 शिक्षक विहीन और 132 एकल शिक्षकीय स्कूलों को अब शिक्षक मिल चुके हैं। इससे इन शालाओं में शैक्षणिक वातावरण बेहतर होगा। अब जिले में कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं है।

राज्य शासन के दिशा निर्देश में जिले में अतिशेष शिक्षकों के काउंसलिंग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब जिले के दूरस्थ क्षेत्रों में मौजूद शिक्षक विहीन और एकल शिक्षकीय विद्यालयों को नए शिक्षक मिल चुके हैं। इससे अब न केवल इन क्षेत्रों के स्कूलों को नए शिक्षक मिले हैं बल्कि विद्यार्थियों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी सुनिश्चित हुई है। अब यहां के पालकों में नया विश्वास जगा है और वे पुनः अपने बच्चों का नामांकन स्थानीय शाला में कराने के लिए आगे आ रहे हैं।
कोटा ब्लॉक के ख़पराखोल कुसुमखेड़ा, मस्तूरी ब्लॉक के सबरियाडेरा लोहरसी एवं तखतपुर के डिलवापारा आदिवासी बैगा बाहुल्य ग्राम हैं जो शिक्षक विहीन थे यहां शिक्षकों की पदस्थापना की गई है। लंबे समय से शिक्षक न होने के कारण शिक्षण कार्य लगभग ठप था। गांव के लोग आशंकित थे कि कहीं उनके बच्चों का भविष्य अंधकारमय न हो जाए किंतु अब नियमित शिक्षकों की पदस्थापना से विद्यालय में फिर से पढ़ाई हो सकेगी। विद्यालय की शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष और ग्रामवासियों ने शासन के प्रति आभार व्यक्त किया।
पालक कहते हैं कि अब हम निश्चिंत हैं कि हमारे बच्चे भी पढ़-लिखकर कुछ बन पाएंगे। शिक्षक की पदस्थापना, ये हमारे लिए बहुत बड़ा तोहफा है। शिक्षकों की उपस्थिति से बच्चों को अब नियमित मार्गदर्शन मिलेगा, शैक्षणिक गतिविधियों को नया आयाम मिलेगा और समूचे अंचल में शिक्षा के प्रति जागरूकता की नई लहर दौड़ पड़ी