
रेडियो धूम पर रेंशी श्याम गुप्ता का वक्तव्य
भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए गुरुओं का सम्मान अनिवार्य
रायगढ़। रेडियो धूम के विशेष कार्यक्रम में अंतराष्ट्रीय मार्शल आर्ट खिलाड़ी अंतराष्ट्रीय कोच, नागरिक सुरक्षा सेवा संगठन के संस्थापक, ड्रीम स्पार्क शिक्षण संस्थान के प्रदेश ब्रांड एबेन्सडर देशभक्त सामाजिक कार्यकर्ता रेंशी श्याम गुप्ता ने गुरुओं के सम्मान और भारत के भविष्य पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास इस बात का गवाह है कि हमारा देश प्राचीन काल से ही विश्वगुरु रहा है और उस दौर में गुरुओं का स्थान सर्वोच्च था।
“गुरु ही थे राष्ट्र के कर्णधार”
गुप्ता ने कहा कि प्राचीन समय में गुरु ही राष्ट्र के कर्णधार माने जाते थे। उनकी शिक्षाओं और मार्गदर्शन से विद्यार्थी विद्या, चरित्र, साहस और नेतृत्व क्षमता से परिपूर्ण बनते थे।
“आज गुरु, शिक्षक कर्मी बनकर रह गए”
उन्होंने खेद व्यक्त किया कि वर्तमान समय में वही गुरु अब केवल शिक्षक कर्मी बनकर रह गए हैं। सम्मान और गरिमा में आई गिरावट ने शिक्षा के स्तर को कमजोर कर दिया है और युवा वर्ग अपनी दिशा खोता जा रहा है।
महागुरु समिति की जरूरत
गुप्ता ने सुझाव दिया कि भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने के लिए गुरु चयन प्रक्रिया को मजबूत किया जाए। इसके लिए विशेष महागुरुओं की चयन समिति बने, जो योग्यतम शिक्षकों का चुनाव करे।
“गुरु का मानदेय कलेक्टर से अधिक हो”
उन्होंने कहा, “यदि किसी जिले के कलेक्टर से भी ज्यादा वेतन गुरु को मिलेगा, तभी समाज में उनका मान बढ़ेगा और विद्यार्थी उन्हें आदर्श मानकर प्रेरित होंगे। तब युवा राष्ट्र निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेंगे।”
युवाओं की चिंता
देश के सबसे बड़े युवा वर्ग की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए गुप्ता ने कहा कि आज के युवा डिप्रेशन और मानसिक रोगों का शिकार हो रहे हैं। बेरोजगारी, सामाजिक दबाव और शिक्षा की कमियों ने उनकी ऊर्जा को कमजोर बना दिया है।
“गुरु सम्मान के बिना विश्वगुरु कहना बेईमानी”
गुप्ता ने स्पष्ट कहा कि जब तक भारत में गुरुओं का सम्मान उच्चतम स्तर पर नहीं होगा, तब तक भारत को विश्वगुरु कहना बेईमानी होगी। उन्होंने जोर दिया कि गुरुओं की गरिमा बहाल कर ही भारत को पुनः ज्ञान, विज्ञान और संस्कारों की धरती बनाया जा सकता है।
युवाओं से अपील
कार्यक्रम के अंत में उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपने गुरुओं का सम्मान करें और शिक्षा को केवल रोजगार का साधन न मानकर जीवन को सार्थक बनाने का पथ समझें। “मेरे भारत का हर युवा राजा होगा, बशर्ते उसके पास सच्चे गुरु का मार्गदर्शन हो,” उन्होंने कहा।
