बिलासपुर। तोरवा थाना क्षेत्र में हुई मारपीट की घटना ने अब नया मोड़ ले लिया है। आरोपियों के परिजनों ने पुलिस कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि निर्दोष युवकों को झूठे केस में फंसाकर जेल भेजा गया है।

प्रार्थी राहुल गोस्वामी ने पुलिस को शिकायत दी थी कि 14 अगस्त की रात वह गोपाल डेयरी से दही लेकर लौट रहा था। इसी दौरान तितली बीक के पास कुछ युवकों ने उस पर और उसके साथी बजरंग पर हमला किया। घटना में राहुल को गले और पीठ में चोटें आईं, जबकि बजरंग के हाथ और घुटने में चोट लगी। शिकायत के आधार पर पुलिस ने इस्माइल खान, इमरान खान, अभय चौहान, अमन, गुलशन, मोहम्मद युसुफ और शेख समीर बक्श उर्फ शम्मी समेत कई युवकों के खिलाफ मामला दर्ज किया।

लेकिन अब परिजनों का कहना है कि घटना के समय उनके बेटे मौके पर मौजूद ही नहीं थे। परिजनों का दावा है कि 14 अगस्त की रात 8 से 9 बजे तक शेख समीर और मोहम्मद युसुफ इमलीपारा स्थित मॉर्डन ग्राफिक्स में स्वतंत्रता दिवस का बैनर बना रहे थे। इस दौरान की सीसीटीवी फुटेज भी उनके पास है, जिसे पुलिस को सौंपने के बावजूद जांच में शामिल नहीं किया गया।

नफीसा बेगम और जमीला बेगम ने आरोप लगाया कि पुलिस ने बिना सही जांच किए युवकों को जेल भेज दिया और इस दौरान मोहम्मद युसुफ की पत्नी के साथ बदसलूकी भी की गई। वहीं, ई-रिक्शा संघ के उपाध्यक्ष इमरान अली ने कहा कि असल झगड़ा सिर्फ गुलशन और अमन के बीच हुआ था, लेकिन पुलिस ने कई निर्दोष युवकों को भी फर्जी केस में फंसा दिया।

स्थानीय संगठनों और परिजनों ने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। अब देखना होगा कि पुलिस और प्रशासन इस पूरे विवाद पर क्या कदम उठाते हैं।

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