साला प्रवेश उत्सव के जरिए बच्चों को स्कूल बुलाने शासन जतन कर रही है ,लेकिन वही शिक्षा विभाग स्कूल के अंदर की ही व्यवस्था सुधार नहीं पा रहा है। जिले के सरकारी स्कूलों में 30 फ़ीसदी प्राचार्य का पद खाली है ,जिससे वही के शिक्षकों को प्रभारी प्राचार्य का पद दिया गया है ,लंबे समय से प्रमोशन नहीं होने के चलते कई स्कूल प्राचार्य विहीन है, शिक्षा विभाग द्वारा पदोन्नति नहीं करने के चलते स्कूल की व्यवस्था चरमरा  रही है,पढाई के साथ स्कूल प्रशासन व्यवस्था भी लचर हो गई हैं। 

VO जिले के अधिकांश सरकारी स्कूलों में प्रचार्य का पद रिक्त है ,सालों से प्रभारी प्रचाय के रूप में वहीं के शिक्षक काम कर रहे हैं ,जिसके चलते पढ़ाई के साथ स्कूल प्रबंधन भी प्रभावित हो रहा हे ।बड़ी समस्या तब होती है जहां वित्तीय अधिकार की बात आती है वहां प्रभारी प्राचार्य बेबस हो जाते हैं, जिससे स्कूल में कई सुविधाओं का अभाव बना रहता है ,स्कूल के टीचरों का कहना है कि प्राचार्य होने से स्कूल के छोटे-बड़े जरूरी काम आसानी से हो जाते हैं ,जिससे प्रबंधन के साथ बच्चों की पढ़ाई में भी सुविधा होती है ।

बाईट अरविंद कौशिक प्रभारी प्राचार्य सेजेस महारानी स्कूल

बाईट श्रद्धा आनंद व्याख्यात अंग्रेजी सेजेस

Bite कविता तिवारी लेक्चरर  वाणिज्य

Vo वही प्रभारी प्राचार्य के पास अधिकार सीमित होते हैं, वित्तीय अधिकार नहीं होने के चलते छोटे-बड़े काम रुक जाते हैं ,कहीं लैब में रिपेयरिंग करना है लाइब्रेरी व्यवस्थित करना हो वह उसी हाल में पड़ा होता है क्योंकि प्रभारी प्राचार्य के पास पैसा खर्च करने का अधिकार नहीं होता है, पदोन्नति नहीं होने से प्रचार्य का पद सालों से पद रिक्त है, जिसके चलते मजबूरी में प्रभारी प्रचार बनाया गया है,जो नाममात्र के ही होते है।  साथ ही प्रभारी प्राचार्य टीचिंग के अलावा मैनेजमेंट का भी काम करते हैं जिससे स्कूल का कामकाज तो प्रभावित होता ही है वही बच्चों की पढ़ाई भी बाधित होती है ,टीचरों का कहना है कि ऐसे में पढ़ाई और स्कूल का स्तर क्या होगा यह समझ जा सकता है ।लंबे समय से ऐसे सरकारी स्कूलों में प्रचार्य पद की मांग की जा रही है ,उसके बावजूद भी शिक्षा विभाग आश्वासन के बल पर ही अच्छी शिक्षा देने का दावा करती है।

शत्रुघन

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *