युनुस मेनन रतनपुर

ग्राम पंचायत सेमरा ब्लॉक बिल्हा के उप सरपंच एवं पंचों के द्वारा बिलासपुर कलेक्टर से शिकायत की गई के सेमरा के सरपंच और सचिव के द्वारा करोडो रुपया का हेरा फेरी किया गया है ।

बताया जा रहा है कि सरपंच उर्मिला कस्तूरिया और सचिव निर्मला मिश्रा सचिव ने मूलभूत 15 वे वित्त ओर पीडीएस दुकान की कमीशन की राशि का दुरुपयोग किया गया है राशि का व्यय फर्जी तरीके से किया गया मौके पर काम नहीं कराया गया है ।

दस्त वजो की दृष्टिकोण से राशि चेक और नगद के रूप में ज्यादा आहरण की गई है शिकायत में मुख्य कार्य पालन अधिकारी को विस्तार पूर्वक समझते हुए दिखाया गया है कि किस तरीके से बिना काम के राशि इन्हें दी गई है इन दस्तावेजों को देखिए कि किस तरह से राशि को किस तारीख को कहा किसी एजेंसी को दिया गया है

इसके अलावा ग्राम पंचायत सेमरा में जो शासकीय प्राथमिक शाला भवन स्कूल है उसमें भी भारी अनियमित बढ़ती गई है सरपंच सचिव के द्वारा बिना पूर्व सूचना आज संवैधानिक ढंग से स्कूल के एट लकड़ी खपरा फर्श ग्रिल गेट खिड़की दरवाजे जिसकी अनुमानित राशि ढाई से ₹3 लाख की है उसका विक्रय कर दिया गया है तो वहीं गेट ,ग्रिल और फर्श को तो सरपंच ने अपने घर में लगवाया है इसकी ना तो किसी को सूचना है और ना ही कुछ बताया जा रहा है जो दर्शाता है कि स्कूल को तोड़कर इसकी सामग्री बेची गई और सास के संपत्ति को क्षति पहुंचाई गई है


उक्त शिकायत के आधार पर जांच अधिकारी नीरज तिवरी नियुक्त कर ग्राम पंचायत सेमरा जांच के लिए भेजा गया उक्त अधिकारी के द्वारा शिकायत के आधार पर संपूर्ण बिंदु पर जांच किया गया जांच कर प्रतिवेदन बनाया गया मगर बनाए गए प्रतिवेदन पर गलत ढंग से जांच करने का आरोप लगाते हुए शिकायतकर्ताओं द्वारा उक्त प्रतिवेदन पर दस्तखत करने से मना कर दिया एवं उक्त जांच करता के ऊपर आरोप लगाया गया

कि सरपंच सचिव की मिली भगत से उक्त अधिकारी के द्वारा यहां जांच किया जा रहा है एवं अकेले यहां जांच के लिए भेजा गया ग्राम पंचायत सेमरा के वार्ड 9 एवं वार्ड 2 की महिलाओं के द्वारा यह भी शिकायत किया गया कि ग्राम पंचायत सेमरा के हैंडपंप में विगत कई महीनो से गंदा पानी एवं आस पास पूरी गंदगी फैली हुई है जिसकी साफ सफाई एवं हैंड पंप की मरम्मत करने को कहा गया मगर उसका भी युक्त सरपंच के द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है

इस पूरे घटनाक्रम में एक बात जो सामने आ रही है वह यह है कि किस तरह से सरकार ग्राम पंचायत को पर्याप्त राशि दे रही है लेकिन वहां के ही जनप्रतिनिधि और शासकीय कर्मचारी इन कार्यों में भ्रष्टाचार की चरम सीमा को पार कर रहे हैं जनप्रतिनिधि के साथ मिलकर ग्राम पंचायत सचिव न सिर्फ पैसों का बंदर बांट कर रहे हैं बल्कि विकास कार्य को भी प्रभावित कर रहे हैं

दस्तावेजों के आधार पर यह दिख भी रहा है ऐसे में अब जिला प्रशासन को मिले शिकायत के आधार पर जांच कर कर इस दिशा में कठोर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि बाकी ग्राम पंचायत के लिए यह एक सबक बन सके

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