स्वस्थ जीवन का आधार है सात्विक भोजन बीके संतोषी दीदी
21 जून 2025 बिलासपुर।भोजन मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा है। चाहे बच्चा या जवान या बूढ़ा हर समय उसे अपने अनुकूल भोजन की आवश्यकता होती है। आज बढ़ती हुई विचित्र बीमारियों के कारण हम भोजन पर विशेष ध्यान देते हैं। लेकिन हम अपने पुराने रीति रिवाज को भूल ही गए हैं। साथ ही पुरातन समय की भोजन बनाने व खाने की कला भी भूल गए हैं।
उक्त वक्तव्य प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की मुख्य शाखा टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन के तत्वाधान में पंडित दीनदयाल गार्डन में बीके संतोषी दीदी ने कहा कि
भारत की सभ्यता में भोजन परिवार के साथ व मौन में रहकर करना सिखाया गया है। हम सभी जानते हैं कि जैसा अन्न वैसा मन मन का शरीर के साथ गहरा रिश्ता है। मन की जरा सी भी हलचल संपूर्ण शरीर को विचलित कर देती है। जब कोई व्यक्ति किसी बीमारी से जूझ रहा होता है तो डॉक्टर उसे मन को शांत रखने को कहते हैं। मन के शांत होने से ही शरीर भी शांत होगा और दवा अपना कार्य कर सकेगा। शोध बताता है कि आज लोग फोन चलाते हुए भोजन करते है। जिससे उनके भोजन पचाने की क्षमता घटती जा रही है। उन्हें लंबे समय तक कार्य करने में भी दिक्कत आ रही है। एवं एक जगह ध्यान लगाने में भी वह असमर्थ होता जा रहा है। एक अन्य प्रयोग में 137 युवाओं को 7 दिन 3 टाइम भोजन फोन पर गेम वह मूवीस देखते हुए कराया गया 7 दिन बाद पाया गया कि वह सभी युवा चिड़चिड़ा व्यवहार कर रहे हैं। उनमें गुस्सा, डर, हिंसा का स्तर बढ़ गया है। हम अपने जीवन की डाइट में यह लागू कर रहे हैं कि हमें क्या खाना चाहिए? क्या नहीं? पर भोजन कैसे खाना चाहिए? इस पर ध्यान नहीं देते। जब हम कोई तनावदायी, अत्यधिक भावुक दृश्य देखते हुए या दुख भरे समाचार सुनते हुए भोजन करते हैं तो हमारे शरीर में फ्री रेडीकल्स का स्तर बढ़ जाता है। जिसके कारण बुढ़ापा जल्दी आना हो या कैंसर जैसी बीमारियों को जल्दी होने लगती है। मन की स्थिति बहुत ऊपर नीचे होने के कारण हार्मोनल असंतुलन के कारण हम बीमारियों के गढ़ बन जाते हैं। दीदी ने आगे बताया कि स्वस्थ जीवन का आधार है सात्विक भोजन। अन्न का सीधा प्रभाव मन पर पड़ता है। शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाने का आधार है भोजन। भोजन के हर कण में ऊर्जा विद्वान है। हम केवल इसकी बाहरी परत को देखते हैं लेकिन सूक्ष्म तरंगों को नहीं देख पाते हैं। यही सर्व रोगो का मूल कारण है। अनाज के उत्पादन से लेकर भोजन को ग्रहण करने की प्रक्रिया तक कितने मनुष्यों के वाइब्रेशन उसमें समा चुके होते हैं। ऐसे वाइब्रेशन से युक्त भोजन ग्रहण करने से मानसिक अवस्था क्या होगी? अगर भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं तो वह तन और मन को शक्ति देगा।
योग प्रशिक्षक मनोरंजन पाढ़ी जी ने विभिन्न प्रकार के योगासनों के बारे में बताते हुए अभ्यास कराया और अंत में मेडिटेशन कराया गया।
ईश्वरीय सेवा में
बीके स्वाति
राजयोग भवन, बिलासपुर

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *