
वैश्विक उत्कृष्टता की ओर यात्रा जारी रखे विवि – राज्यपाल रमेन डेका
विनम्रता, सहानुभूति और दृढ़ता के मूल्य हमेशा याद रखें- सीएम विष्णुदेव साय
विश्वस्तरीय रैंकिंग में पूरे देश में परचम लहराया – कुलपति प्रो. चक्रवाल
बिलासपुर। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (केंद्रीय विश्वविद्यालय) नैक से ए++ ग्रेड प्राप्त विश्वविद्यालय का एकादश दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय के रजत जयंती सभागार में पूर्ण गरिमा एवं हर्षोल्लास से मनाया गया। समारोह के मुख्य अतिथि माननीय उपराष्ट्रपति महोदय श्री जगदीप धनखड़ रहे। कार्यक्रम के अति विशिष्ट अतिथि छतीसगढ़ के माननीय राज्यपाल श्री रमेन डेका, विशिष्ट अतिथि आवास एवं शहरी मामले, भारत सरकार के केंद्रीय राज्य मंत्री श्री तोखन साहू, छत्तीसगढ़ के माननीय मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय, माननीय उप-मुख्यमंत्री श्री अरुण साव, श्री सुशांत शुक्ला, विधायक बेलतरा, श्री अतुल भाई कोठारी, राष्ट्रीय सचिव शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली एवं प्रो.टी.जी.सीताराम, अध्यक्ष अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, नई दिल्ली रहे। समारोह की अध्यक्षता माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने की।

मुख्य अतिथि सहित अन्य गणमान्य अतिथियों के साथ काफिला, निर्धारित समय पर आयोजन स्थल पर पहुंचा तथा उपराष्ट्रपति जी की अगवानी माननीय राज्यपाल, माननीय मुख्यमंत्री के साथ माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने की।
मुख्य अतिथि माननीय उपराष्ट्रपति महोदय श्री जगदीप धनखड़ के आगमन पर सर्वप्रथम विश्वविद्यालय परिसर में सफेद चंदन का पौधारोपण किया गया। आयोजन स्थल पर अतिथियों के साथ पहले कार्यपरिषद एवं विद्यापरिषद सदस्यों, तदुपरांत स्वर्ण पदक प्राप्त विद्यार्थियों के साथ अतिथियों द्वारा ग्रुप फोटोग्राफ खींचा गया। फोटोग्राफी हेतु विश्वविद्यालय में दोनों समूहों के बैठने की व्यवस्था रजत जयंती सभागार के बाहर की गई थी। ग्यारहवें दीक्षांत समारोह की शोभायात्रा हॉल क्रमांक 1 से रजत जयंती सभागार के मंच की ओर प्रस्थान की, जिसमें क्रमानुसार सर्वप्रथम कुलसचिव, विद्यापरिषद के सदस्य, कार्य परिषद के सदस्य, विभिन्न विद्यापीठों के अधिष्ठातागण एवं अतिथिगण, कुलपति महोदय, एवं माननीय उपराष्ट्रपति महोदय श्री जगदीप धनखड़ रहे। शोभायात्रा के दौरान वेद की ऋचाओं का स्वस्ति वाचन किया गया। स्वस्ति वाचन से रजत जयंती सभागार वेद की ऋचाओं से गुंजायमान हो उठा।

कार्यक्रम का प्रारंभ पुलिस बैण्ड द्वारा प्रस्तुत राष्ट्रगान के साथ हुआ। तदुपरांत मंचस्थ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा मां सरस्वती, छत्तीसगढ़ महतारी एवं बाबा गुरु घासीदास जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के तरंग बैंड ने सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी। माननीय कुलपति महोदय ने समस्त मंचस्थ अतिथियों का नन्हें पौधे से स्वागत किया व स्मृति चिह्न भेंट किया।

दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि माननीय उपराष्ट्रपति महोदय श्री जगदीप धनखड़ ने कहा कि मित्रों, आज सेना दिवस है। यह हमारे सैनिकों के अटूट साहस और बलिदान का सम्मान करने का समय है, जिन्होंने हमारे देश की स्वतंत्रता की रक्षा की है। उनका समर्पण और दृढ़ता हमें देशभक्ति और निस्वार्थ सेवा की सच्ची भावना की याद दिलाती है और हमारे सेवानिवृत्त सैनिक हमारे लिए अनमोल हैं। हमें अपने सेवानिवृत्त सैनिकों को सर्वोच्च सम्मान देना चाहिए, क्योंकि वे हमारे सेवारत बलों की नैतिक रीढ़ हैं।मैं इस अवसर पर गुरु घासीदास को श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहता हूँ, जिनका नाम एक अर्थ में इस संस्था के माध्यम से अमर हो गया है। गुरु घासीदास ने सभी के बीच एकता, समावेशिता और समानता की भावना को मूर्त रूप दिया। महर्षि वाल्मीकि, भगवान बिरसा मुंडा, संत रविदास, ज्योतिबा फुले जैसे हमारे आदर्श हैं। ये महान गुरु हमारे प्रामाणिक आदर्श हैं, हम सभी के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं।
उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि पदक प्राप्त करने वाले छात्रों और उनके परिवारों के लिए, यह उत्सव का दिन है। यह चिंतन का भी दिन है। यह छात्रों, उनके माता-पिता और शिक्षकों के साथ-साथ संस्थान के लिए भी एक मील का पत्थर है। सीखना कभी ख़त्म नहीं होता। सीखना जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है। छत्तीसगढ़ एक महान राज्य है और एक विकासशील राज्य से अवसरों के केंद्र में इसका परिवर्तन केंद्रित विकास और दृढ़ नेतृत्व की शक्ति को दर्शाता है। शिक्षा इस परिवर्तन के केंद्र में है। मुझे गर्व है कि छत्तीसगढ़ के युवा, चाहे वे शहरों से हों या राज्य के दूरदराज के जनजातीय इलाकों से, अब जीवन के हर क्षेत्र में प्रतिष्ठित संस्थानों से लाभ उठा सकते हैं।

छत्तीसगढ़ में अब एम्स, आईआईटी, आईआईआईटी, आईआईएम और कानून के संस्थान हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में दुनिया में कोई भी देश भारत जितनी तेजी से नहीं बढ़ा है। भारतीय अर्थव्यवस्था ने अन्य देशों के विपरीत उच्च विकास के साथ वैश्विक रूप से चुनौतीपूर्ण परिदृश्य को बनाए रखा है। हमारी प्रगति दुनिया के लिए ईर्ष्या का विषय रही है। पिछले दशक के अधिकांश समय में, हमने सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था का टैग बरकरार रखा है।हम तीसरी बनने की राह पर पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था हैं। हमारे विकास का आधार समावेशिता है। यही हमारी सांस्कृतिक विरासत है। यही हमारी सभ्यता का सार है। पिछले कुछ वर्षों में विकास, शासन का मुख्य कीवर्ड रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि यह राज्य खनिज संपदा से भरपूर है। छत्तीसगढ़ में बस्तर का लौह अयस्क, कोरबा का कोयला, मैनपाट का बॉक्साइट, ये सब आज भारत के औद्योगिक विकास की रीढ़ है। भारत की इस्पात आवश्यकताओं का पंद्रह प्रतिशत आपके राज्य से पूरा होता है। खनिज संपदा को सामूहिक समृद्धि के उच्चतम स्तर पर बदलने के लिए कुछ ठोस प्रयासों की आवश्यकता होगी। नक्सलवाद विकास में सबसे बड़ी बाधा बना हुआ है, खासकर वनवासी लोगों के लिए। इससे जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि पिछले कुछ वर्षों में देश में इस दिशा में गंभीर प्रयास किए गए हैं। छत्तीसगढ़ में भी अच्छे प्रयास किए गए हैं, जिसमें कई नक्सलियों को निष्प्रभावी किया गया है, गिरफ्तार किया गया है या आत्मसमर्पण किया गया है। तीन सी, सड़क संपर्क, मोबाइल संपर्क और वित्तीय संपर्क फल दे रहे हैं, जीवन बदल रहे हैं और प्रगति के नए रास्ते बना रहे हैं।

उन्होंने कहा कि सफलता केवल व्यक्तिगत उपलब्धि से नहीं मापी जाती है। इसका समाज पर सकारात्मक प्रभाव होना चाहिए। आपने यहां जो शिक्षा प्राप्त की है, वह एक आधार है, एक लॉन्चिंग पैड है लेकिन अंततः आपको इसे सफल बनाना होगा।आप हमेशा सफल नहीं हो सकते। आपको चुनौतियों का सामना करना सीखना चाहिए। वास्तविक दुनिया में असफलता और सफलता साथ-साथ चलती हैं और कोई आसान शॉर्टकट नहीं है। आपको एक भी सफलता की कहानी नहीं मिलेगी जिसमें असफलता का दौर न हो या बार-बार असफलता न मिली हो। चंद्रयान 3 ऐसा ही एक उदाहरण है। असफलताओं का सामना करना सीखें, ऐसी असफलताओं से सीखना सीखें। आपको खुद पर विश्वास करना होगा कि आप जो चाहते हैं, उसे बदल सकते हैं। राष्ट्र के हित को सर्वोपरि रखें। आपको अपने देश को 100 प्रतिशत देना होगा और कोई भी हित, चाहे वह व्यक्तिगत हो या अन्य, राष्ट्रीय हित से ऊपर नहीं हो सकता। अंत में विश्वविद्यालय के छात्रों को भारतीय संसद में अपने अतिथि के रूप में आमंत्रित कियाI

अति विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित श्री रमेन डेका, माननीय राज्यपाल छत्तीसगढ़ ने कहा कि छत्तीसगढ़ में शिक्षा और ज्ञान के मार्ग को निरंतर रोशन करने वाले संस्थान गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करना मेरे लिए अत्यंत गौरव और सौभाग्य का क्षण है। आज हम अपने स्नातक छात्रों की उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए एकत्र हुए हैं, जो अवसरों और चुनौतियों से भरी दुनिया में कदम रख रहे हैं। यह गर्व का विषय है कि गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय ने NAAC से A++ मान्यता प्राप्त की है, जो उसकी उत्कृष्टता के प्रति इसकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। यह प्रतिष्ठित पहचान विश्वविद्यालय को भारत के प्रमुख शैक्षिक संस्थानों में शामिल करती है। विश्वविद्यालय द्वारा अनुसंधान, पेटेंट, और प्रतिष्ठित जर्नल्स में प्रकाशन में किए गए प्रयास उसके विश्व स्तरीय विश्वविद्यालयों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता को दर्शाते हैं।यह उपलब्धि केवल सम्मान का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह एक जिम्मेदारी भी है। मैं विश्वविद्यालय से आग्रह करता हूं कि वह वैश्विक उत्कृष्टता की ओर अपनी यात्रा जारी रखे।

उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 शिक्षा के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की कल्पना करती है-जो न केवल अकादमिक उत्कृष्टता बल्कि भावनात्मक बुद्धिमत्ता, रचनात्मकता और जीवन कौशल का भी पोषण करती है। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने में अग्रणी रहा है।शिक्षा के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाना सामाजिक प्रगति को आगे बढ़ाने के सबसे प्रभावशाली तरीकों में से एक है। उन्होंने छात्राओं से कहा कि वे आत्मविश्वासी बनें, निडर बनें और दृढ़ संकल्प के साथ अपनी महत्वाकांक्षाओं का पीछा करें।
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित श्री विष्णुदेव साय जी, माननीय मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़ सभी को नववर्ष और मकर संक्राति की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि यह मेरे लिए गर्व और खुशी का विषय है कि मैं आज माननीय उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ जी और राज्यपाल श्री डेका जी की मौजूदगी के बीच, इस ऐतिहासिक अवसर पर आप सभी के बीच उपस्थित हूँ। दीक्षांत समारोह छात्र-छात्राओं के लिए केवल एक औपचारिकता नहीं है। यह एक ऐसा अवसर है जो बदलाव, आत्ममंथन और प्रेरणा का प्रतीक है।हमारे लिए गर्व का अवसर और भी बढ़ जाता है कि छत्तीसगढ़ का इकलौता केन्द्रीय विश्वविद्यालय महान संत बाबा गुरु घासीदास जी के नाम पर स्थापित है, जो ज्ञान, समावेशिता और सांस्कृतिक गर्व का प्रतीक है।अपनी स्थापना के समय के ही इस विश्वविद्यालय ने छत्तीसगढ़ की बौद्धिक प्रगति को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस विश्वविद्यालय ने केवल शैक्षणिक उपलब्धियाँ हासिल नहीं की हैं, बल्कि एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया है कि किस तरह से एक शिक्षण संस्थान समाज की जरूरतों को पूरा कर सकता है। स्वाभिमान थाली योजना, सारथी योजना, सुदामा योजना, श्रवण हेल्पलाइन और हेल्दी यूनिवर्सिटी मूवमेंट जैसे अभिनव प्रयास यहाँ हुए। इस संस्थान की उपलब्धियाँ यह दिखाती हैं कि छत्तीसगढ़ के हृदय में स्थित एक विश्वविद्यालय कैसे ज्ञान और नवाचार का वैश्विक केंद्र बन सकता है। उन्होंने छात्रों से कहा कि प्रतिस्पर्धा के इस दौर में दुनिया आपको चाहे कितनी भी दूर ले जाए, आप विनम्रता, सहानुभूति और दृढ़ता के मूल्यों को हमेशा याद रखें।
विशिष्ट अतिथि श्री अरुण साव, उप-मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन ने स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय प्रगति के मार्ग पर निरंतर अग्रसर है। नैक से ए++ ग्रेड प्राप्त होने के साथ ही इस विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित श्री अतुल भाई कोठारी, राष्ट्रीय सचिव शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली ने कहा कि विद्यार्थियों के लिए अविस्मणीय पल है। जीवन की परीक्षा में सफल और यशस्वी बनें इसके लिए मेरी ओर से शुभकामनाएं। आप समाज की सेवा में लग जाइये।

विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित प्रो. टी.जी. सीताराम, अध्यक्ष अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने कहा कि सभी उपाधि धारकों को बधाई देते हुए कहा कि यह उनकी अथक परिश्रम का परिणाम है। छात्र नये भविष्य का प्रारंभ कर रहे हैं जो आने वाले समय में राष्ट्र की धरोहर होंगे। भविष्य में उपयोगी नई तकनीकों को भी आपको सीखना चाहिए।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने विश्वविद्यालय का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में अकादमिक व शोध के परिमाण व परिमाप लगातार बढ़ रहे हैं। यहां के विद्यार्थियों का भविष्य उज्ज्वल है। नैक से A++ ग्रेड हासिल करने के साथ ही यह विश्वविद्यालय विश्वस्तरीय रैंकिंग के मामले में पूरे देश में अपना परचम लहरा रहा हैI
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुरूप मुख्य अतिथि सहित अन्य मंचस्थ अतिथियों के विदाई उपरांत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल एवं कुलसचिव प्रो. ए.एस. रणदिवे ने शेष उपाधि एवं स्वर्ण पदक प्रदान किये।
एकादश दीक्षांत समारोह में सत्र 2022-23 एवं 2023-24 की विभिन्न परीक्षाओं (स्नातक, स्नातकोत्तर, पत्रोपाधि आदि) में उत्तीर्ण 2933 एवं 2926 कुल 5859 छात्र-छात्राओँ को उपाधि दिये जाने की घोषणा की गई। वहीं 2022-23 की प्रावीण्य सूची में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले 78 एवं 2023-24 की प्रावीण्य सूची में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले 77 विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय स्वर्ण मंडित पदक, 09 दानदाता पदक, 01 गुरु घासीदास पदक व 01 कुलाधिपति पदक सहित 85 पदक प्रदान किए गए। 2022-23 के 49 एवं 2023-24 के 73 के साथ कुल 122 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई।
एलईडी स्क्रीन पर देखा लाइव प्रसारण
मंच के पिछले हिस्से में एवं रजत जयंती सभागार के बाहर विशाल एलईडी स्क्रीन स्थापित की गई थी जिस पर संपूर्ण समारोह लाइव प्रसारित किया गया। साथ ही पदक एवं उपाधि धारकों के नाम, विषय, तस्वीर तथा प्राप्त होने वाले पदक अथवा उपाधि की पूर्ण जानकारी उनके मंच पर पहुंचने पर प्रसारित की गई।