शत्रुघन चौधरी की रिपोर्ट

पर्यवेक्षक भर्ती परीक्षा में बैठे… रैंक मिली.. फिर भी नियुक्ति के लिए भटक रहे 15 – 20 साल के अनुभवी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता

रायपुर। महिला बाल विकास विभाग में पर्यवेक्षक भर्ती परीक्षा 2023 में शामिल अनुभवी कार्यकर्ताओं को अब तक नियुक्ति नहीं दी गई है। परीक्षा में रैंक हासिल करने के बाद भी 6 अनुभवी कार्यकर्ता अपनी नियुक्ति को लेकर पिछले कई महीने से भटकने को मजबूर हैं। कहा जा रहा है कि 45 वर्ष से अधिक उम्र होने के कारण उन्हें नियुक्ति नहीं दी जा रही है। जबकि उच्च न्यायालय के आदेशानुसार इन 45 वर्ष से अधिक उम्र के अनुभवी कार्यकर्ताओं को परीक्षा में शामिल होने का अवसर मिला था। परीक्षा में शामिल होने के बाद अन्य अभ्यर्थियों की तरह उन्हे भी परिणाम के आधार पर अवसर दिया जाना चाहिए।
महिला बाल विकास विभाग में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में पिछले 15 – 20 से साल कम कर रहे आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने संचालक को लिखे अपने आवेदन में इसका ब्यौरा दिया है। जिसमें तखतपुर की सुचिता शर्मा, बिलासपुर की मोनिका वर्मा, भिलाई -दुर्ग की रामकुमारी देवांगन, जशपुर की मंजूषा तिर्की, बिल्हा की इंद्रावती कौशिक और सारंगढ़- बिलाईगढ़ की सुशीला डनसेना शामिल है। इन्होंने बताया कि महिला बाल विकास विभाग में पर्यवेक्षक पद की सीधी भर्ती के लिए 26 जून 2023 को विज्ञापन जारी किया गया था। ऑनलाइन आवेदन जमा करने के लिए 5 जुलाई से 30 जुलाई 2023 और त्रुटि सुधार के लिए 2 अगस्त 2023 तक आवेदन भेजने की तारीख तय की गई थी। खुली सीधी भर्ती में अनारक्षित 92 पद, दिव्यांग के लिए पांच पद, अनुसूचित जनजाति के लिए 71 ,अनुसूचित जाति के लिए 26 ,अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 31 पद – इस तरह कुल 220 पद रखे गए थे। परिसीमित सीधी भर्ती आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के लिए अनारक्षित 92 पद, दिव्यांग पांच पद, अनुसूचित जनजाति 70, अनुसूचित जाति 27, अन्य पिछड़ा वर्ग 31 – इस तरह 220 पद रखे गए थे।
महिला बाल विकास विभाग की अनुभवी कार्यकर्ताओं को 45 वर्ष होने के कारण परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जा रही थी। लेकिन उच्च न्यायालय के आदेशानुसार परीक्षा में शामिल होने का अवसर दिया गया। 45 वर्ष से अधिक आयु के कार्यकर्ताओं को आवेदन जमा करने के लिए पोर्टल खोलने का आदेश जुलाई 2023 में किया गया था। इसके बाद व्यापमं ने लेटर जारी कर 5 अगस्त 2023 को 12 अगस्त 2023 तक के लिए पोर्टल खोलने का आदेश दिया। जिसमें 45 वर्ष से अधिक की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने भी आवेदन जमा किया। 27 अगस्त 2023 को आयोजित परीक्षा में इन्हें शामिल किया गया। इसके बाद 18 सितंबर 2023 को परीक्षा के नतीजे घोषित किए गए। परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद मोनिका वर्मा, सुचिता शर्मा, मंजूषा तिर्की, राम कुमारी देवांगन, सुशीला डनसेना, इंद्रावती कौशिक, सुषमा बाग को भी रैंक दी गई।
परिणाम घोषित होने के बाद 45 वर्ष से अधिक उम्र वाले इन कार्यकर्ताओं को भी प्रमाण पत्र सत्यापन के लिए बुलाया गया। जिनका सत्यापन अक्टूबर 2023 में किया गया। परीक्षा में रैंक हासिल करने वाले आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तब से अपनी नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। उन्हें अब तक नियुक्ति नहीं दी गई है। इन कार्यकर्ताओं ने बताया कि प्रमाण पत्रों के सत्यापन के बाद विभाग ने उच्च न्यायालय के प्रकरण का हवाला देकर कोर्ट जाने कह दिया और यह भी कहा कि फैसला आने तक पद नहीं दिया जाएगा। इसके बाद कोर्ट ने सभी के मामलों की सामूहिक सुनवाई करते हुए मई 2024 में कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता लंबे समय से कार्य कर रहे हैं और कोरोना महामारी में भी जनकल्याणकारी कार्य किया है। इसे दृष्टिगत रखते हुए 3 महीने के भीतर सामान्य प्रशासन विभाग कोई नीति बनाए, साथ ही 45 वर्ष से अधिक उम्र के आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को राहत दी जाए। इसके बाद भी उन्हें नियुक्ति नहीं मिली तो विभाग में भी कई आवेदन दिए और 27 जून 2024 को जन दर्शन में मुख्यमंत्री से भेंट कर अपनी समस्या बताई।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की दलील है कि कोर्ट के आदेशानुसार उन्हें परीक्षा में शामिल होने का अधिकार दिया गया था। इससे स्पष्ट है कि परीक्षा में शामिल अन्य अभ्यर्थियों के समान उनके साथ भी बर्ताव किया जाएगा। उनकी गिनती भी सभी अभ्यर्थियों की तरह की जाएगी। ज़ाहिर सी बात है कि परीक्षा के नतीजे सभी के साथ एक बराबर लागू होने चाहिए। महिला बाल विकास विभाग में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में 15 – 20 साल से सेवाएं देने के बाद कोर्ट के आदेश से परीक्षा में अवसर दिया गया । परीक्षा में बैठकर उन्होने रैंक हासिल कर लिया । जब इन अनुभवी कार्यकर्ताओं ने परीक्षा में रैंक हासिल कर लिया है । इसके बावजूद उन्हें फिर क्यों नियुक्ति नहीं दी जा रही है…? समझा जा सकता है कि उन पर क्या बीत रही है। उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में शासन की ओर से पालना घर की नियुक्ति में एक वर्ष के अनुभवी को भी 45 वर्ष से अधिक उम्र होने के बावजूद पात्र माना जा रहा है। इस तरह 44 वर्ष के बाद 3 वर्ष की अतिरिक्त छूट दी जा रही है ।जब पालना घर की नियुक्ति मामले में 47 वर्ष होने के बावजूद पात्र माना जा रहा है। ऐसी स्थिति में परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद भी उन्हें नियुक्ति नहीं दी जा रही है। जिससे उन्हें मानसिक तौर पर परेशानी उठानी पड़ रही है।।

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