दिर्घायु होने के लिए संकल्पों की गति को कम रखे – बीके स्वाति दीदी
बिलासपुर। जीवन में मोटिवेशन हर किसी को आवश्यक है, चाहे वह कोई बिजनेस करने वाला व्यक्ति हो, नौकरी करने वाला व्यक्ति हो या फिर कोई गृहणी हो। हर किसी को मोटिवेशन आवश्यक है। यही मोटिवेशन जीवन में आगे बढ़ाता है। परंतु हर समय दूसरे हमें मोटिवेट नहीं कर सकते हैं इसके लिए स्वयं, स्वयं को ही मोटिवेट करना होगा।
उक्त वक्तव्य प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय बिलासपुर की मुख्य शाखा टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन में “रक्षक फिजिकल अकैडमी” के अभ्यार्थीयों के लिये आयोजित “सेल्फ मोटिवेशन” कार्यक्रम में सेवाकेंद्र संचालिका बीके स्वाति दीदी जी ने कहा। दीदी ने बताया कि हमारा लक्ष्य निश्चित होता है। जीवन में लक्ष्य का जितना महत्व है उतना ही महत्व उस लक्ष्य को प्राप्त करने की विधि का भी है। जिस प्रकार से कुल्हाड़ी से प्रतिदिन पेड़ काटा जाए और कुल्हाड़ी की धार तेज नहीं की जाए तो उमंग-उत्साह, लक्ष्य होने के बाद भी धीरे-धीरे सफलता कम होती जाती है। उसी प्रकार से बाहर की सारी बातों पर ध्यान देते हैं कि हमारा शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा हो, हमारा भोजन अच्छा हो, व्यायाम आदि भी करते हैं परंतु इन सबका मुख्य आधार है हमारा मन। मन को स्वस्थ रखने के लिए हम ध्यान नहीं देते। सड़क सुरक्षा माह के बारे में बताते हुए दीदी ने बताया कि मन के विचारों की गति तीव्र होने के कारण वाहन की गति भी बढ़ जाती है जो दुर्घटना का कारण बन जाती है। दिर्घायु होने के लिए संकल्पों की गति को कम रखे।
दीदी ने बाज़ का उदाहरण देते हुए बताया कि बाज की यह खासियत होती कि वह कभी भी मरे हुए जानवर को नहीं खाता है। हमेशा अपने लिए नया शिकार करता है। इस बात से सीखना चाहिए कि किसी पर भी निर्भर ना रहे खुद पर भरोसा रखें और निरंतर काम करते रहे। जीवन में सफल होने के लिए जरूरी है कि पास्ट की बातों में ना उलझे रहे। हमेशा आज पर फोकस करें। पास्ट में क्या पाया, क्या खोया से दूर रहते हुए इस चीज पर फोकस करना चाहिए कि आज क्या अचीव कर सकते हैं। बाज खुद को तकलीफ देकर एक नया जीवन देता है। जब बाज बूढ़ा हो जाता है तब अपने पुराने पंखों को खुद खींचकर बाहर निकालने का दर्दनाक काम करता है ताकि नए पंख आ सके। इससे यह प्रेरणा ले सकते हैं कि आपको भी समय के साथ उन आदतों को छोड़ देना चाहिए जो आज आपके जीवन में एक बोझ बन रही है। भीड़ से अलग रहना है। उन लोगों से दूरी बनाकर रखनी है जो सफलता की राह में नीचे लाने की कोशिश करते हैं। सफलता की राह में उच्च मानत निर्धारित करने चाहिए। आम व्यक्ति भीड़ का हिस्सा हो सकता है, लेकिन जीवन में अगर आप कुछ प्राप्त करना चाहते हैं तो भीड़ से अलग चलना होगा। सफलता प्राप्त करने के लिए एकाग्रता और निरंतरता जीवन में लेकर के आनी है। विपरीत परिस्थितियों में डरने की जरूरत नहीं है। नई चुनौतियों को सामने देखकर डरना या घबराना नहीं चाहिए। बल्कि उन चुनौतियों को अपनी सफलता के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। हमें भी जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलना होगा।
रक्षक फिजिकल अकैडमी के संचालक पूर्व आर्मी अधिकारी कृष्णा सिंह जी ने कहा की बहुत लंबे समय से ब्रह्माकुमारीज में आने का इच्छुक था और आज यहाँ आकर ही मन को बहुत शांति मिल रही है। बच्चे जीवन में असफल होने के बाद कभी भी कमजोर ना पड़े। मानवीय गुणों का विकास व्यक्तित्व को पूर्णता प्रदान करता है और जीवन को सफलता से भर देता है। नया कुछ करने के लिए डर को पीछे छोड़ना होगा। सफलता के शिखर पर पहुंचने के लिए कठिन परिश्रम के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है।
विभिन्न एक्टिविटीज के साथ बीके स्वाति दीदी ने अंत में राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास कराया। सभी अभ्यार्थी ने भरपूर मनोरंजन का अनुभव किया। बीके संतोषी दीदी ने कार्यक्रम का कुशल मंच संचालन किया। अंजू दुआ बहन ने अंत में आभार प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में रक्षक अकैडमी के अन्य ट्रेनर्स, कमल छाबड़ा, CG SI, CAF GD कॉन्स्टेबल, सीजीपी जीडी कांस्टेबल, इंडियन आर्मी, नेवी, एयर फोर्स, जीडी वनरक्षक और डिफेंस जॉब के लिए तैयारी करने वाले 50 से अधिक अभ्यार्थी सम्मिलित हुए ।
ईश्वरीय सेवा में,
बीके स्वाति
राजयोग भवन, बिलासपुर

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