गृह थाना क्षेत्र और लोकल आरक्षक की पोस्टिंग बार बार मस्तूरी पचपेड़ी और सीपत के पीछे क्या हैँ कारण?

बिलासपुर। बिलासपुर जिले के मस्तूरी क्षेत्र का मामला बावजूद इसके सरकार और उच्च अधिकारी इनके जैसे वसूली बाज को वह सारी सुविधाएं उपलब्ध करा रही है जो प्रशासनिक अधिकारियों को मिलती है परसदा वेद में बने उच्च अधिकारियों के कॉलोनी में इनको रहने के लिए रूम भी दिया जा रहा है जबकि इनकी थाना से घर की दूरी महज कुछ ही किलोमीटर है इसके बावजूद इनकों वह सारी सुविधाएं मिल रही है जो नहीं मिलनी चाहिए लोकल लोगों को गृह थाना क्षेत्र में पोस्टिंग देने से लोग कितना फायदा उठा सकते हैं इसका यह ताजा उदाहरण है इन्होंने हर उन अवैध कार्य करने वालों से अपना रौब दिखाकर वसूली का सेटिंग जमा लिया हैँ और लगातार उनसे अवैध वसूली कर यह अपने तिजोरी भर रहे हैं यह तो वसूली करते हैं साथ ही इनको कुछ खास पत्रकार भी इनके बाद पहुंच जाते हैं और जमकर यह भी वसूली करते हैं जिसके कारण मस्तूरी क्षेत्र में अवैध कार्य करने वालों को किसी प्रकार की कोई टेंशन या चिंता नहीं होती वह खुलेआम कहते घूमते रहते हैं कि उनकी सेटिंग बड़ी स्ट्रांग है और कुछ भी कार्रवाई होने से पहले उनको सब पता चल जाएगा चाहे वह कबाड़ का धंधा करने वाला हो चाहे वह अवैध शराब बेचने वाले पता नहीं पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों को इस पूरे मामले की जानकारी है या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा पर एक बात साफ है इनके जैसे आरक्षक की वजह से ही पुलिस बदनाम हो रही है पुलिस पर से लोगों का विश्वास उठ रहा है जो विभाग के लिए गंभीर चिंता का विषय।

ट्रांसफर के बाद फिर पहुंच जा रहें मस्तूरी क्षेत्र…

ताज्जुब तो तब होता है जब इनके जैसे वसूली बात आरक्षक का सीपत पचपेड़ी या मस्तूरी से ट्रांसफर तो होता है पर कुछ ही महीनो में घूम फिर कर फिर अपने गृह थाने क्षेत्र में वापस आ जाते हैं और लग जाते हैं अपनी वसूली बाजी में कुछ मामले तो ऐसे भी होते हैं जो थाने तक नहीं पहुंचते बल्कि इन आरक्षक के द्वारा ही पत्रकारों से मिली भगत करके निपटा दिया जाता है जिसमें इनको लंबी-लंबी रकम भी मिलती हैँ और यही सबसे बड़ी वजह हैँ जो इनकों बार बार मस्तूरी विधानसभा के किसी थाने में खींचती हैँ।

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