न्याय की गुहार लगाते हुये बताया की बसंत लोहार का परिवार करोड़ों की जमीन का मालिक होने के बावजूद भूख और बदहाली से जूझ रहा है.

परिवार का आरोप है कि जमीन पर कब्जा कर रिश्तेदार ने कागजों में हेरफेर की, लेकिन अब तक नहीं मिल न्याय. तखतपुर के खरखेना ग्राम पंचायत में रहने वाले बसंत लोहार और उनके परिवार की कहानी अत्यंत दुखद और हृदयविदारक है। करोड़ों की संपत्ति के मालिक होने के बावजूद, यह परिवार आज भूख और बदहाली से जूझ रहा है। 15 साल पहले बसंत की मां ने बताया था कि उनके पास काफी जमीन है, लेकिन आज भी यह जमीन उनके दादा रामफल के नाम पर दर्ज है। इस जमीन पर कब्जे और कागजों की गड़बड़ी ने उनकी जिंदगी को और कठिन बना दिया है। परिवार का आरोप है कि उनके ही करीबी रिश्तेदार, कोमल विश्वकर्मा, ने कपटपूर्वक कुछ जमीन अपने नाम करवा ली। इसके बाद से यह परिवार न्याय के लिए दर-दर भटक रहा है। तमाम सरकारी कार्यालयों, कलेक्टर, कमिश्नर, और पटवारी तक गुहार लगाई गई, लेकिन आज तक न्याय नहीं मिला. गरीबी और अन्याय की मार झेल रहे तखतपुर के बसंत लोहार का परिवार पिछले 12 वर्षों से अपनी ही जमीन के लिए संघर्ष कर रहा है। दादा रामफल के नाम दर्ज खसरा नंबर 462 की करोड़ों की संपत्ति का हकदार होने के बावजूद, इस परिवार को अब तक एक टुकड़ा भी जमीन नहीं मिल पाई है। परिवार का दावा है कि जमीन के कागजात उनके ही रिश्तेदार कोमल विश्वकर्मा ने कब्जा कर लिए और गुपचुप तरीके से अपने नाम करवा लिए। यह जमीन कभी गौचर भूमि घोषित की गई तो कभी सरकारी जमीन बताई गई, लेकिन परिवार का दर्द है कि प्रशासन ने उनकी आवाज नहीं सुनी। आज गरीबी से जूझता यह परिवार भूख और बदहाली के कारण बदतर हालात में है। प्रशासन और शासन से उनकी एक ही गुहार है कि जमीन की जांच कर उन्हें न्याय दिलाया जाए.

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