

अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाकर तनाव से मुक्त रह सकते है – बीके स्वाति दीदी
18 दिसम्बर 2024, बिलासपुर। हम अपने मकान, कपड़े एवं अपने शरीर की प्रतिदिन सफाई अवश्य करते हैं। छुट्टी के दिन तो और भी एक्स्ट्रा सफाई करते हैं। परंतु मन जिसमें अनेक प्रकार के विचार आते हैं और जिन विचारों का सीधा प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है हम उसकी तरफ ना कभी ध्यान देते हैं और ना ही कभी उसकी स्वच्छता की ओर ध्यान देते हैं। जिससे हमारा मन दिन-प्रतिदिन और भी दूषित और कमजोर होता जा रहा है।
उक्त व्यक्तव्य प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय बिलासपुर की मुख्य शाखा राजयोग भवन की संचालिका बीके स्वाति दीदी ने छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान, सिम्स हॉस्पिटल में आयोजित एम.बी.बी.एस. स्नातक, स्नातकोत्तर (एम.डी./ एम.एस.) के छात्र-छात्राओं, इन्टर्न एवं चिकित्सा शिक्षकों को “तनाव प्रबंधन” कार्यक्रम में सम्बोधित करते हुए कहीं। दीदी ने आगे कहा कि आज से 30-35 साल पहले, तनाव शब्द सिर्फ विज्ञान की एक भाषा थी, और ये हमारी बातचीत का हिस्सा भी नहीं था। जबकि हम उस समय आज से ज्यादा मेहनत करते थे, और परिस्थितियां भी उतनी ही चुनौतीपूर्ण थीं जितनी कि आज हैं। पर फिर भी किसी ने ये नहीं कहा कि, मुझे तनाव महसूस हो रहा है। फिर धीरे-धीरे हम सभी इसे एक इमोशन मानने लगे और अपने मन की दशा को बताने के लिए इसका इस्तेमाल करने लगे। और साथ ही, हम ये दर्शाने के लिए कि, हम कितनी कड़ी मेहनत करते हैं, यहां तक कि हमारे नियमित कार्यों में थोड़ा ऊपर-नीचे होने को भी हम तनाव मान बैठे और कहने लगे कि, हम तनाव में हैं।
दीदी ने कहा कि “तनाव” हमारे ही गलत विचारों का परिणाम है। जो हमें ये बताता है कि हमारे अंदर कुछ ऐसा है जिसे बदलने की जरूरत है। और आजकल जब हम अपने चारों तरफ हर किसी को तनाव में देखते हैं, तब हम ये सोचते हैं कि, आज के समय में थोड़ा तनाव होना बिल्कुल सामान्य और स्वाभाविक है। तनाव का प्रभाव, ना सिर्फ हमारे शारीरिक बल्कि भावनात्मक अवस्था या हालचाल पर भी पड़ता है। ये हमारी मेमोरी, क्षमता, निर्णय लेने की शक्ति और कार्य प्रदर्शन पर भी प्रभाव डालता है। इसलिए कम या ज्यादा तनाव, हर तरह से हानिकारक है। जिन परिस्थियों पर हमारा कोई नियन्त्रण नहीं है उसे नियंत्रित करने के प्रयास से हमें तनाव होने लगता है। हम अपनी तुलना दुसरे से करते है या किसी बात को पकड़ कर रख लेते है जिससे तनाव होने लगता है। जब हमारी आंतरिक शक्तियां कम होती हैं तो एक छोटा सा भी प्रेशर भी हमें बड़ा तनाव दे सकता है। इसलिए हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि, हम किसी भी परिस्थिति में अपनी आंतरिक शक्ति को बढ़ाकर अपने मन को शक्तिशाली बनायें। अपने जीवन में कुछ सकारात्मक परिवर्तन, आध्यात्मिकता एवं प्रतिदिन कुछ देर मैडिटेशन करने से हम तनाव से मुक्त हो सकते है। विभिन्न एक्टिविटीज एवं मैडिटेशन के द्वारा बीके स्वाति दीदी ने बहुत सरल तरीके से तनाव मुक्त रहने की तकनीक सिखाई।
उससे पहले सिम्स के डीन डॉ. रामनेश मूर्ति जी के मार्गदर्शन में माँ सरस्वती की प्रतिमा में माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। स्टूडेंट सेल प्रभारी डॉ. सगारिका प्रधान जी ने दीदी को पौधा देकर एवं डॉ मधुमिता मूर्ति जी ने शॉल उढ़ाकर स्वागत किया। डॉ हेमलता ठाकुर, डॉ प्रशांत निगम, डॉ विनोद टंडन, डॉ समीक्षा, डॉ एस. अग्रवाल, बीके संतोषी दीदी, हेमंत अग्रवाल, फैकल्टी, स्टाफ एवं लगभग 200 एमबीबीएस विद्यार्थी उपस्थित रहे। मेडिकल लैब टेक्नीशियन शिरोमणि नायक ने कुशल मंच संचालन किया। अंत में डॉ हेमलता ठाकुर ने दीदी को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
ईश्वरीय सेवा में
बीके स्वाति
राजयोग भवन, बिलासपुर

