
बिलासपुर। गुरू घासीदास विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) के जूलॉजी विभाग एवं जूलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में 35वीं अखिल भारतीय जूलॉजी कांग्रेस एवं इंपेक्ट ऑफ क्लाइमेट चेंज विथ स्पेशल रिफ्रेंस टू चैलेंजेस एंड एप्रोजेस इन एप्लाइड जूलॉजी, बायोडायवर्सिंटी कंसर्वेशन, फूड एंड हेल्थ सिक्योरिटी विषय पर तीन दिवसीय (05-07 जून, 2024) अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया।
विश्वविद्यालय के रजत जयंती सभागार में दिनांक 05 जून, 2024 को सुबह 10 बजे आयोजित उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि माननीय कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा कि हमें राष्ट्र और मानवता के लिए आगे आने की जरुरूत है। हमें अकादमिक उत्कृष्टता तक ही सीमित न होकर सामाजिक सरोकारों के लिए संयुक्त शोध पर विचार करना चाहिए। हमारा देश जैव विविधताओं से परिपूर्ण है ऐसे में इसके संरक्षण के लिए हमें उचित कदम उठाने होंगे।
कुलपति प्रोफेसर चक्रवाल ने उदाहरण देते हुए कहा कि हम धान की सीमित प्रजातियों को ही जानते हैं जबकि इससे कहीं अधिक प्रकार की प्रजातियां उपलब्ध हैं जिनका हमें संरक्षण करते हुए पेटेंट व जीआई टैग सुनिश्चित करना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शोध, अनुसंधान एवं नवाचार के साथ ही विभिन्न समाजोपयोगी शोध को लैब से लैंड और लैंड से लैब तक जोड़ने की बात करती है। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में युवा वैज्ञानिकों, शोधार्थियों तथा शिक्षाविदों के जो विचार, सुझाव और निष्कर्ष आएंगे वे समाज के लिए उन्नयनकारी होंगे।
विशिष्ट अतिथि प्रो. बी.एन. पांडे, अध्यक्ष जूलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया ने जैव विविधता और बीजों के संरक्षण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें जैव विविधता, खाद्यान सुरक्षा, मानव स्वास्थ्य तथा प्राकृतिक ऊर्जा के लिए सरंक्षण की नितांत आवश्यकता है। उन्होंने अनुसंधान में भारतीय ज्ञान परंपरा के विभिन्न सकारात्मक पहलूओं को सम्मिलित किये जाने पर बल दिया। उन्होंने छत्तीसगढ़ के बैगा जनजाति के पास उपलब्ध दुर्लभ ज्ञान को संकलित करने की वर्तमान आवश्यकता पर भी बल दिया।
इससे पूर्व अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ दीप प्रज्वलन कर मां सरस्वती एवं बाबा गुरु घासीदास की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुआ। मंचस्थ अतिथियों का नन्हा पौधा भेंट कर स्वागत किया गया। तरंग बैंड के विद्यार्थियों ने सरस्वती वंदना एवं कुलगीत की प्रस्तुति दी। कॉन्फ्रेंस की संयोजक प्रो. सीमा राय ने स्वागत उद्बोधन दिया।

मंचस्थ अतिथियों ने रखे अपने विचार
विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. आर.के. पांडे, निदेशक आईसीएआर-कोल्डवॉटर फिशरीज रिसर्च निदेशालय, प्रो. बिनय कुमार चक्रवर्ती, इक्जीक्यूटिव डायरेक्टर, एक्वाकल्चर एंड मैनेजमेंट सेंटर एंड सुपरवाइजर बंगलादेश एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय ढाका, बंगालदेश, प्रो. फयाज अहमद विभागाध्यक्ष एनवायरमेंटल साइंस, निदेशक यूजीसी-एमएमटीटीसी कश्मीर विश्वविद्यालय, प्रो. संतोष कुमार भू-गर्भशास्त्र विभाग कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल उत्तराखंड, प्रो. कमल जायसवाल महासचिव जूलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया जूलॉजी विभाग बीबीएयू, लखनऊ (उ.प्र.) तथा देश-विदेश के विभिन्न उच्च शिक्षा संस्थानों से पधारे वैज्ञानिक एवं शिक्षाविदों ने कॉफ्रेंस में अपने विचार रखे।
इस अवसर पर मंचस्थ अतिथियों द्वारा कॉन्फ्रेंस की स्मारिका का विमोचन किया गया। जूलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा गुरु घासीदस केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल को आजीवन मानद फैलोशिप से सम्मानित किया गया। अतिथियों को शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मान किया गया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. अभय एस. रणदिवे तथा संचालन डॉ. श्वेता सुब्राह्मण्म, सहायक प्राध्यापक वनस्पति विज्ञान विभाग ने किया। इस अवसर पर विभिन्न विद्यापीठों के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्षगण, अधिकारीगण, शिक्षणकगण, शोधार्थी एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।
तकनीकी सत्र, आमंत्रित व्याख्यान व पोस्टर प्रस्तुति होगी
तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में कुल 18 तकनीकी सत्र, 11 आमंत्रित व्याख्यान, 11 मौखिक प्रस्तुतियां तथा पोस्टर प्रस्तुतियां भी सम्मिलित होंगी।
