बिलासपुर। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में दिनांक 01 मार्च को दोपहर 1.30 बजे वानिकी, वन्यजीव एवं पर्यावरण विभाग तथा डव्लू सीबी रिसर्च फाउंडेशन, गुजरात के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पांच दिवसीय “फील्ड बेस्ड ट्रेनिंग ऑन एडवान्सेस इन वाइल्ड लाइफ रिसर्च विथ स्पेशल इम्फेसिस ऑन स्लॉथ बियर कंजर्वेशन इन इंडिया” विषयक प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हुआ। वानिकी, वन्यजीव एवं पर्यावरण विभाग के सेमिनार हॉल में आयोजित समापन कार्यक्रम की अध्यक्षता गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने की। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि कुलसचिव प्रोफेसर मनीष कुमार श्रीवास्तव और कोऑर्डिनेटर डॉ. निशित धरैया, गुजरात थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा कि जीवन का एक लक्ष्य तय होना चाहिए। इससे अपने मिशन को पूरा करने में मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय आए हैं, तो एक मिशन लेकर जाएं। जीवन में एक आधारभूत लक्ष्य हो, जिससे अपने मुकाम हासिल कर सकें। इस कार्यक्रम का भी लक्ष्य वन्य जीवों विशेष कर भालू का संरक्षण रहा है। वाइल्ड लाइफ के बारे में बताते हुए उऩ्होंने कहा कि कई पशु-पक्षी विलुप्त होते जा रहे हैं, इन्हें संरक्षित करने की नितांत आवश्यकता है। साथ ही, उनके जीवन एवं संरक्षण के लिए कैसे बेहतर व्यवस्था बनाई जा सकती है, इस पर न केवल हमें ध्यान देना होगा, बल्कि समुचित व्यवस्था करनी होगी। उन्होंने कहा कि भारत में प्राणिमात्र की चिंता की जाती है और जीवों का संरक्षण हमारी भारतीय परंपरा का अभिन्न अंग है। कार्यक्रम में कुलपति प्रोफेसर चक्रवाल ने श्रेष्ठत्तम शोधार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए सम्मानित भी किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर मनीष कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि मरवाही क्षेत्र में भालुओं की संख्या अधिक हैं। वहां आपने जो काम किया है और उससे जो परिणाम तथा निष्कर्ष प्राप्त किए हैं, वह एकेडमिक क्षेत्र तथा भालुओं के संरक्षण के लिए मूल्यवान साबित होगा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ रिसर्च के लिए बेहतर जगह है। जहां भी जरूरत पड़ेगी, उसे पूरा योगदान देने की कोशिश करेंगे।


डॉ. निशित धरैया, डायरेक्टर सेंटर ऑफ एक्सेलेंस इऩ वाइल्ड लाइफ एंड कंजर्वेशन स्टडी इन गुजरात ने कहा कि पूरी दुनिया में भालू की 8 प्रजातियां हैं, जिसमें से 4 भारत में है। भारत में जो 4 प्रजातियां हैं उनका संरक्षण करना हमारी जिम्मेदारी है। इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में 12 राज्यों से 25 प्रतिभागी शामिल हुए थे, जिसमें से 5 ने प्रोजेक्ट प्रपोजल दिया था। उऩमें से 2 की फंडिंग डब्लूसीएस करेगी। वानिकी वन्यजीव एवं पर्यावरण विभाग के विभागाध्यक्ष केके चंद्रा ने आभार व्यक्त किया। इस दौरान कार्यक्रम के सह समन्वयक डॉ. अजय कुमार सिंह, संकायाध्यक्ष प्रोफेसर एससी तिवारी सहित विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, संकायाध्यक्ष, शिक्षकगण, प्रतिभागी और शोधार्थी आदि उपस्थित रहे।

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *