जो शिक्षक का मान करता है, वह ज्ञान का वरदान पाता है – बीके स्वाति दीदी
27 नवम्बर 2025, बिलासपुर ।
विद्यार्थी जीवन में पढ़ाई का नशा होना अत्यंत आवश्यक है। यह वह नशा है जो जीवन को ऊंचाइयों तक ले जाता है, आत्मविश्वास बढ़ाता है और व्यक्ति को सार्थक लक्ष्य प्रदान करता है। पढ़ाई को बोझ नहीं, बल्कि आत्म-विकास का सबसे सुंदर माध्यम समझना चाहिए। जब मन पढ़ाई से प्रेम करता है, तब विषय कठिन नहीं लगते और सफलता सहज हो जाती है। शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मनुष्य के चरित्र, व्यवहार और संपूर्ण व्यक्तित्व को आकार देती है। जिस विद्यार्थी को अपनी पढ़ाई से प्रेम और लगन होती है, वही जीवन में आगे बढ़कर समाज के लिए प्रेरणा बनता है।
उक्त वक्तव्य प्रजापिता ब्रह्माकुमारिज ईश्वरीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर की मुख्य शाखा टेलीफोन एक्सचेंज रोड स्थित राजयोग भवन में एक विशेष प्रेरणात्मक कार्यक्रम में सेवाकेन्द्र संचालिका बीके स्वाति दीदी ने कहा। दीदी ने आगे कहा कि विद्यार्थी जीवन अपने आप में एक अमूल्य अवसर है। यह वह समय है जब जीवन की दिशा और दृष्टि दोनों निर्धारित होती हैं। इसलिए पढ़ाई के प्रति गंभीरता, नियमितता और प्रेम होना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पढ़ाई का नशा एक ऐसा सकारात्मक उत्साह है, जो विद्यार्थियों को लक्ष्य-केन्द्रित, जागरूक और आत्मविश्वासी बनाता है। दीदी ने अनुशासन को सफलता की कुंजी बताते हुए कहा कि अनुशासन सिर्फ समय पर उठने, पढ़ने या स्कूल जाने का नाम नहीं है बल्कि यह जीवन की पूरी व्यवस्था को सुगठित करता है। अनुशासित विद्यार्थी में समय प्रबंधन की क्षमता बढ़ती है, मन एकाग्र रहता है और लक्ष्य तक पहुँचने का मार्ग सरल होता जाता है।
बीके स्वाति दीदी ने क्लास के दौरान शिक्षक के सम्मान पर भी विशेष जोर दिया उन्होंने कहा कि शिक्षक केवल विषय नहीं पढ़ाते, बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाते हैं। जो विद्यार्थी अपने शिक्षक का आदर करता है, उसके जीवन में सीख की गहराई स्वतः बढ़ जाती है। जो शिक्षक का मान करता है, वह ज्ञान का वरदान पाता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि स्कूल में देरी से आने पर विद्यार्थियों को खड़ा किया जाता है, यह दंड नहीं बल्कि समय का मूल्य समझाने का प्रयास है। शिक्षक का सम्मान सिर्फ व्यवहार से ही नहीं, बल्कि उनकी बातों को जीवन में उतारने से भी दिखता है। परीक्षा जीवन का स्वाभाविक और आवश्यक हिस्सा है। परीक्षा से डरना नहीं, बल्कि उसे जीवन की प्रगति का चरण समझकर सकारात्मक रूप से लेना चाहिए। डर का कारण असफलता नहीं, तैयारी की कमी होती है। यदि विद्यार्थी नियमित पढ़ाई, समय-पत्रक और शांत मन से अध्ययन करें, तो परीक्षा आत्मविश्वास बढ़ाने वाला माध्यम बन सकती है।
कार्यक्रम के अंत में बीके स्वाति दीदी ने यह भी बताया कि आध्यात्मिक जीवन भी एक विद्यार्थी जीवन ही है, जिसमें प्रतिदिन कुछ नया सीखते हुए स्वयं को बेहतर, शांत और अनुशासित बनाना होता है। जैसे विद्यालय का विद्यार्थी हर दिन अपनी कक्षा में उपस्थित होकर आगे बढ़ता है, वैसे ही आध्यात्मिक साधक भी रोज़ आत्म-विकास के पथ पर एक नया कदम बढ़ाते हैं।
इस प्रेरक सत्र के समापन पर सभी ब्रह्माकुमार भाई-बहनों ने विषय से संबंधित एक छोटी परीक्षा भी दी, जिससे सभी का आत्मविश्लेषण हुआ और सीख को और दृढ़ता मिली। परीक्षा के बाद सभी को प्रसाद वितरित किया गया।
ईश्वरीय सेवा में,
बीके स्वाति
राजयोग भवन, बिलासपुर

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