बच्चों के भविष्य को खतरे में डालने वाले अवैध पेरामेडिकल संस्थान के खिलाफ शिकायत

बिलासपुर: एनएसयूआई के प्रदेश सचिव रंजेश सिंह ने कलेक्टर से एक गंभीर शिकायत करते हुए अवैध पेरामेडिकल संस्थान “माई एजुकेशन” के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है। रंजेश सिंह का कहना है कि यह संस्थान बिना किसी मान्यता के संचालित हो रहा है और छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है।

शिकायत के अनुसार, “माई एजुकेशन” संस्थान मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान जबलपुर से अपनी संबद्धता का दावा करते हुए छात्रों को धोखा दे रहा है। रंजेश ने बताया कि 2020-21 के दौरान इस संस्थान में प्रवेशित 18 छात्रों की अब तक परीक्षा नहीं हुई है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इन छात्रों की प्रथम वर्ष की परीक्षा फर्जी तरीके से ली गई थी, जिसका कोई प्रमाण या परिणाम नहीं जारी किया गया है। छात्रों ने शिकायत की है कि उन्हें न तो परीक्षा का परिणाम मिला है और न ही उनकी पढ़ाई की स्थिति के बारे में कोई जानकारी दी गई है।

रंजेश सिंह ने यह भी बताया कि “माई एजुकेशन” संस्थान विभिन्न कोर्स जैसे BMLT, DMLT, OT Technician, Dialysis, और X-ray में छात्रों को प्रवेश दे रहा है, और इसके लिए मोटी फीस वसूल कर रहा है। यह संस्थान न केवल छात्रों को धोखा दे रहा है, बल्कि उनके भविष्य को भी गंभीर खतरे में डाल रहा है। इस प्रकार के संस्थानों का संचालन न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह उन छात्रों के लिए भी खतरनाक है जो अपने करियर को बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

इसके अलावा, रंजेश ने उल्लेख किया कि बिलासपुर में और भी कई अवैध पेरामेडिकल संस्थान संचालित हो रहे हैं, जो बिना मान्यता के शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। इन संस्थानों के खिलाफ जांच और उचित कार्यवाही की आवश्यकता है, ताकि अन्य छात्रों को भी ऐसे संस्थानों के झांसे में आने से बचाया जा सके।

रंजेश सिंह ने कलेक्टर से अनुरोध किया कि अवैध संस्थानों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही की जाए और उन्हें तत्काल बंद किया जाए। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि प्रशासन इस मामले में गंभीरता से कदम उठाए, ताकि छात्रों का भविष्य सुरक्षित हो सके।

इस स्थिति ने स्थानीय शिक्षा विभाग और प्रशासन के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि कैसे ऐसे संस्थान बिना किसी रोक-टोक के चल रहे हैं। रंजेश का मानना है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो इससे न केवल छात्रों का भविष्य प्रभावित होगा, बल्कि समाज में शिक्षा के प्रति विश्वास भी कमजोर होगा।

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *