राजस्थान स्थित मेवाड़ की धरती को मुगलों के आतंक से बचाने वाले महान राजपूत राजा महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि हर साल 19 जनवरी को मनाई जाती है. वैसे तो भारत के गौरवशाली इतिहास में कई राजाओं का जिक्र किया गया है,लेकिन उन सब में महाराणा प्रताप को वीर सम्राट, साहसी योद्धा, महान राष्ट्रभक्त और पराक्रमी राजा तौर पर बताया गया है. महाराणा प्रताप देश के एक ऐसे महान योद्धा और युद्ध रणनीति में कुशल राजा थे, जिन्होंने कई बार मुगलों के हमलों से मेवाड़ और देश की जनता की रक्षा की. उनके जीवन में कई विकट परिस्थितियां आईं, लेकिन उन्होंने कभी भी अपना सिर किसी दुश्मन के सामने झुकने नहीं दिया.उनकी वीरता के किस्से आज भी सुनाए जाते हं और उनका नाम इतिहास के पन्नों में एक महान राजा के तौर पर दर्ज है.
समाज के वरिष्ठों ने बताया कि भारत माता की रक्षा के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने वाले राजपूत समाज में अनेक वीर पैदा हुए एवं देश के लिए कुर्बान हुए।आगे भी कभी भी देश एवं समाज के लिए खड़ा रहना पड़े तो राजपूत समाज हमेशा तत्परता से देश सेवा एवं समाज सेवा के लिए खड़ा रहेगा.महाराणा प्रताप का शौर्य पराक्रम देश में सर्वोपरि है एवं आज भी उनके पराक्रम को सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं, उनके प्रकार में शौर्य शक्ति का गौरव गाथा सुनकर मन आनंदित हो जाता है.


मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को कुंभलगढ़ में हुआ था. उनके पिता का नाम उदय सिंह द्वितीय और माता का नाम महारानी जयवंता बाई था. उनका निधन 19 जनवरी 1597 को हुआ था. महाराणा प्रताप राजनीतिज्ञ, कुटनीतिज्ञ,मानसिक और शारीरिक क्षमता में अद्वितीय थे
पुण्यतिथि के अवसर पर महाराणा प्रताप चौक में माल्यार्पण कार्यक्रम में उपस्थित थे बाटू सिंह,प्रकाश सिंह,अतुल सिंह, रौशन सिंह,ऋषि सिंह.

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